Thursday 1 June 2017

लोकतंत्र में नेतृत्व को निर्णय लेने की कितनी स्वतन्त्रता प्राप्त है ? .......

लोकतंत्र में नेतृत्व को निर्णय लेने की कितनी स्वतन्त्रता प्राप्त है ? .......
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लोकतंत्र में एक नेता के लिए स्वतंत्र निर्णय लेना वास्तव में सर्वाधिक कठिन कार्य है| उसे हर समय चिंता रहती ही होगी कि मेरे मतदाता कहीं मेरे विरुद्ध न हो जाएँ और मैं कहीं अगला चुनाव हार न जाऊँ| चाहे वह कितना भी अच्छा काम करे, बुराई तो उसकी होगी ही| अगला चुनाव जीतने के लिए और पिछले चुनाव में हुए खर्चे की पूर्ति के लिए रुपयों की व्यवस्था करने की चिंता भी तो रहती ही होगी| यही सब घोटालों और भ्रष्टाचार की जड़ है|
इसका समाधान क्या हो सकता है ?

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