प्रभु से प्रेम करो, प्रभु से प्रेम करो, प्रभु से प्रेम करो, और सिर्फ प्रभु से प्रेम करो .....
वो जो हमारी आँखों से देख रहा है, वो जो हमारी देह को चला रहा है, वो जो हमारे दिल में धड़क रहा है, जब धड़कना बंद कर देगा तो बाकी के सब प्रेम समाप्त हो जायेंगे| हमारा घर-परिवार, धन-संपत्ति, यार-दोस्त, सगे-संबंधी यहाँ तक कि यह पृथ्वी भी किसी काम नहीं आएगी| वह कौन है जो जन्म से पूर्व हमारे साथ था, और मृत्यु के पश्चात भी साथ रहेगा, जो कभी साथ नहीं छोड़ेगा| उस प्रेमियों के प्रेमी से परिचय, मित्रता और प्रेम करना ही सार्थक है|
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जैसे एक पक्षी किसी वृक्ष की टहनी के सिरे पर बैठा चीं चीं करता है...... भयानक आँधी में भी और टहनी टूटने पर भी घबराता नहीं है| उसकी चीं चीं चलती रहती है क्योंकि उसे भरोसा टहनी का नहीं है जिसके ऊपर वह बैठा है, उसे भरोसा है अपने पंखों पर जो उसकी देह के ही भाग हैं| वैसे ही हम सभी को संसार के मध्य रहते हुए भी सच्चा भरोसा परमात्मा पर ही रखना चाहिए, जो सदा-सर्वथा हमारे साथ हैं|
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परमात्मा से सम्बन्ध बना रहे, इसके लिये नियमित साधना की आवश्यकता होती है| मन लगे या न लगे, नियमित साधना का उत्साह बना रहना चाहिए|
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ॐ नमो भगवते वासुदेवाय | ॐ शिव शिव शिव शिव शिव | ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
माघ कृ.९ वि.स.२०७२, 02फरवरी2016
वो जो हमारी आँखों से देख रहा है, वो जो हमारी देह को चला रहा है, वो जो हमारे दिल में धड़क रहा है, जब धड़कना बंद कर देगा तो बाकी के सब प्रेम समाप्त हो जायेंगे| हमारा घर-परिवार, धन-संपत्ति, यार-दोस्त, सगे-संबंधी यहाँ तक कि यह पृथ्वी भी किसी काम नहीं आएगी| वह कौन है जो जन्म से पूर्व हमारे साथ था, और मृत्यु के पश्चात भी साथ रहेगा, जो कभी साथ नहीं छोड़ेगा| उस प्रेमियों के प्रेमी से परिचय, मित्रता और प्रेम करना ही सार्थक है|
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जैसे एक पक्षी किसी वृक्ष की टहनी के सिरे पर बैठा चीं चीं करता है...... भयानक आँधी में भी और टहनी टूटने पर भी घबराता नहीं है| उसकी चीं चीं चलती रहती है क्योंकि उसे भरोसा टहनी का नहीं है जिसके ऊपर वह बैठा है, उसे भरोसा है अपने पंखों पर जो उसकी देह के ही भाग हैं| वैसे ही हम सभी को संसार के मध्य रहते हुए भी सच्चा भरोसा परमात्मा पर ही रखना चाहिए, जो सदा-सर्वथा हमारे साथ हैं|
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परमात्मा से सम्बन्ध बना रहे, इसके लिये नियमित साधना की आवश्यकता होती है| मन लगे या न लगे, नियमित साधना का उत्साह बना रहना चाहिए|
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ॐ नमो भगवते वासुदेवाय | ॐ शिव शिव शिव शिव शिव | ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
माघ कृ.९ वि.स.२०७२, 02फरवरी2016
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