जैसे महासागर से मिलने के पश्चात झीलों-तालाबों व नदी-नालों से मोह छूट
जाता है, वैसे ही सच्चिदानंद की अनुभूति के पश्चात सब मत-मतान्तरों,
सिद्धांतों, वाद-विवादों, राग-द्वेष व अहंकार रूपी पृथकता के बोध से चेतना
हट कर परमात्मा के लिए तड़प उठती है| सारे प्रश्न भी तिरोहित हो जाते हैं|
परमात्मा ही हमारे हर प्रश्न का का उत्तर और हर समस्या का समाधान है|
.
हे प्रभु, जब आप ह्रदय में आकर आड़े हो ही गए हो तो बस अब सदा ऐसे ही रहना| अब कहीं भी मत जाना| आप मेरे ह्रदय में हो तो मेरी भी स्थायी स्थिति आपके ही ह्रदय में है| मेरा ह्रदय ही आपका भी ह्रदय है| ॐ ॐ ॐ ||
.
"ॐ सह नाववतु सह नौ भुनक्तु सह वीर्यं करवावहै |
तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ||"
"ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते |
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ||"
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय| हर हर महादेव| ॐ ॐ ॐ ||
.
हे प्रभु, जब आप ह्रदय में आकर आड़े हो ही गए हो तो बस अब सदा ऐसे ही रहना| अब कहीं भी मत जाना| आप मेरे ह्रदय में हो तो मेरी भी स्थायी स्थिति आपके ही ह्रदय में है| मेरा ह्रदय ही आपका भी ह्रदय है| ॐ ॐ ॐ ||
.
"ॐ सह नाववतु सह नौ भुनक्तु सह वीर्यं करवावहै |
तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ||"
"ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते |
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ||"
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय| हर हर महादेव| ॐ ॐ ॐ ||
परमात्मा से परम प्रेम और परमात्मा की पूर्णता को समर्पण हमारा परम धर्म है|
ReplyDelete