Monday, 23 January 2017

ह्रदय की बात .....

ह्रदय की बात .....
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वेदान्त दर्शन के कुछ ऐसे तथ्य हैं जो बुद्धिं से तो समझ में आते हैं पर ह्रदय को उनका बोध नहीं होता| बुद्धि तो वैसा ही कार्य करती है जैसे उसको कोई लिखित परीक्षा उतीर्ण करनी हो जहाँ रटंत विद्या ही काम आती है| पर जब तक ह्रदय को उनका बोध नहीं होता तब तक वे व्यवहारिक जीवन में नहीं उतरते|
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कुछ ऐसी ही बातें हैं जो जीवन में अब बहुत विलम्ब से ह्रदय को समझ में आ रही हैं| उन पर सार्वजनिक चर्चा का निषेध है| पर ह्रदय उन पर बहुत गहन चिंतन मनन माँग रहा है| ह्रदय की व्याकुलता को शांत करना ही होगा| कुछ पूर्वजन्मों के पुण्यों का उदय हो रहा है| अब साधना पक्ष को और अधिकाधिक गहन करना होगा|
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पर प्रिय निजात्मगण, मैं सदा आपके साथ रहूँगा| नई प्रस्तुतियाँ नहीं दे पाया तो पुरानी प्रस्तुतियों को ही पुनर्प्रेषित करता रहूँगा| आप मुझे सदा अपने ह्रदय में पाओगे| आप सब में हृदयस्थ परमात्मा को प्रणाम !
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ॐ नमो भगवते वासुदेवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
पौष पूर्णिमा वि.स.२०७२, 23 जनवरी 2016.

1 comment:

  1. आध्यात्म में सिर्फ ह्रदय की ही सुनो मन की नहीं .....
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    आध्यात्म में मन की मत सुनो क्योंकी मन गणना करता है, नफ़ा-नुकसान, लाभ-हानि देखता है| मन के हर विचार के पीछे निज हित होता है| मन कभी अहैतुकी (Unconditional) नहीं होता|
    पर ह्रदय कभी झूठ नहीं बोलता, सत्य बात बताता है और परम हित की ही सोचता है|
    इसीलिए हर व्यक्ति के ह्रदय में भगवान हैं|
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    भगवान हैं, यहीं हैं, अभी भी हैं, और सदा ही रहेंगे| वे निरंतर हमारे साथ हैं|
    सारी सृष्टि ही परमात्मा से अभिन्न है , हम भी परमात्मा से अभिन्न हैं|
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    भगवान ही है जो "हम" बन गए हैं| भगवान ही हैं जो "मैं" बन गया हूँ| हम यह देह नहीं बल्कि एक सर्वव्यापी शाश्वत आत्मा हैं, भगवान के अंश हैं और भगवान के अमृत पुत्र हैं|
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    अयमात्मा ब्रह्म | ॐ नमो भगवते वासुदेवाय | ॐ नमः शिवाय | ॐ ॐ ॐ ||
    कृपा शंकर
    माघ कृ.१ वि.स.२०७२, 24 जनवरी 2016

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