Sunday 11 December 2016

विकास क्या है ? .....

विकास क्या है ? .....
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आज का मनुष्य विकास के नाम पर क्या सिर्फ खूब रुपये कमाने, स्वादिष्ट भोजन करने, भोग करने, और संतान उत्पन्न करने की मशीन मात्र बनकर रह गया है ? उच्च चरित्र और जीवन की गुणवत्ता की उपेक्षा हो रही है| क्या यही विकास है?
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विनाश के लक्षण .....
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आज का मनुष्य पृथ्वी के लिए अभिशाप हो गया है| प्राणियों पर अत्याचार हो रहे है, गौ वंश का विलोप हो रहा है, वेदज्ञ ब्राह्मणों को सांप्रदायिक और मनुवादी बताकर तिरस्कृत किया जा रहा है, श्रुतियों को समझने और समझाने वाले निरंतर कम हो रहे हैं, लोभ-लालच और अधर्म हावी हो रहा है| धर्मात्मा शासक नहीं दिखाई दे रहे हैं| प्रदूषण, अनाचार और अराजकता बढ़ रही है| आज की शिक्षा मात्र रोजगारमुखी होकर रह गयी है| कोई दिव्य वस्तु या व्यक्ति द्रष्टिगोचर हो ही नहीं रहा है|
ये सब विनाश के लक्षण हैं| हम स्वयं ही भस्मासुर बन गये हैं अतः विनाश तो होगा ही|
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परमात्मा से विमुखता ही हमारे सब दुःखों का कारण है| दुःख तभी दूर होंगे जब हम परमात्मा से जुड़ेंगे| यह संसार एक पाठशाला है जहाँ एक ही पाठ लगातार पढ़ाया जा रहा है| जो इस को पाठ को नहीं समझना चाहते वे इसे समझने को बाध्य कर दिए जायेंगे|
ॐ तत्सत् | ॐ शिव | ॐ ॐ ॐ ||

1 comment:

  1. भारत की पहिचान भारत की अस्मिता यानि आध्यात्म और हिंदुत्व से है, राजनीतिकों और धनपतियों से नहीं | भारत तभी तक भारत है जब तक भारत की अस्मिता है, अन्यथा भारत मृत है| भारत अब जाग रहा है, उसकी परम दिव्य चेतना शीघ्र ही प्रस्फुटित होगी|

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