Sunday 11 December 2016

ईसा मसीह एक हिन्दू संत थे .....

ईसा मसीह एक हिन्दू संत थे .....
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सन १९४६ ई.में वीर विनायक दामोदर सावरकर के बड़े भाई गणेश सावरकर ने एक पुस्तक "क्राइस्ट परिचय" लिखी थी जिसमें उन्होंने सिद्ध किया था कि ईसा मसीह एक तमिल हिंदू थे और भगवान शिव की आराधना करते थे| उनका असली नाम केशव कृष्ण था जो गहरे रंग के थे और उनकी मातृभाषा तमिल थी| उस समय फिलिस्तीन और अरब क्षेत्र हिंदू भूमि थी| ईसा मसीह जन्म से एक ‘विश्वकर्मा ब्राह्मण’ थे, जिनका 12 साल की उम्र में जनेऊ संस्कार भी हुआ था|. किताब के मुताबिक उनका परिवार भारतीय वेषभूषा में रहता था| इसी आधार पर ये भी दावा किया गया है कि ईसाईयत हिंदुत्व का एक पंथ है|
‘क्राइस्ट परिचय’ में ये भी दावा किया गया है कि ‘एस्सेन’ सम्प्रदाय के लोगों ने सूली पर चढ़ाए गए ईसा मसीह को बचाया और हिमालय की औषधीय पौधों तथा जड़ी बूटियों से उन्हें पुनर्जीवित किया| 49 साल की उम्र में ईसा मसीह ने पहलगाँव कश्मीर में अपना देह त्याग किया|
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इससे पहले फ्रांस के एक वकील, साहित्यकार लुइस जेकोलियत ने 1869 ई. में अपनी एक पुस्तक ‘द बाइबिल इन इंडिया’ में दावा किया है कि ईसा मसीह और भगवान श्रीकृष्ण एक ही थे| अपने तुलनात्मक अध्ययन में उन्होंने दावा किया है कि ‘जीसस’ नाम भी उनके अनुयायियों ने दिया था जिसका संस्कृत में अर्थ होता है ‘मूल तत्व’| इसके अलावा उन्होंने ये भी दावा किया कि अपने भारत भ्रमण के दौरान ईसा मसीह पुरी के जगन्नाथ के मंदिर में रुके थे. एक रूसी अन्वेषक निकोलस नोकोविच ने अपनी किताब ‘द अननोन लाइफ ऑफ जीसस क्राइस्ट’ में दावा किया है कि ईसा मसीह सिल्क रूट से भारत आए थे और यह आश्रम इसी तरह के सिल्क रूट पर था। उन्होंने 13 से 29 वर्ष की उम्र तक यहां रहकर बौद्घ धर्म की शिक्षा ली.
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परमहंस योगानंद जी ने भी दो खण्डों में एक पुस्तक लिखी है जिसका नाम "Second Coming of Christ" है| इस पुस्तक का सार यह है कि ईसा मसीह की मूल शिक्षाएँ भगवान श्रीकृष्ण की ही शिक्षाएँ थीं|
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स्वामी श्रीयुक्तेश्वर गिरि ने भी संस्कृत में "कैवल्य दर्शनम्" नामक एक पुस्तक लिखी है जिसमें यह सिद्ध किया गया है कि ईसा मसीह की मूल शिक्षाएँ सनातन धर्म की ही थीं|
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पूरी के पूर्व शंकराचार्य स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ ने भी सप्रमाण यह दावा किया था कि ईसा मसीह ने पुरी में हिन्दू धर्म शास्त्रों का अध्ययन किया था और वे सनातन हिन्दू धर्म को मानते थे|
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महान इतिहासकार श्री पुरुषोत्तम नागेश ओक ने एक पुस्तक लिखी थी जिसका शीर्षक था "क्रिश्चियनिटी कृष्णनीति है"| यह पुस्तक जब छपी थी तब बहुत लोकप्रिय हुई थी और अभी भी पुस्तकों की बड़ी दुकानों पर उपलब्ध है|
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इस विषय पर बहुत अधिक साहित्य उपलब्ध है| आचार्य रजनीश उर्फ़ ओशो ने भी अपनी एक पुस्तक में विस्तार से ईसा मसीह के भारत प्रवास के बारे में लिखा है|
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मेरा यह मानना है कि अगले पचास-साठ वर्षों में ईसाईयत के हिन्दू धर्म में मिलने की पूरी पूरी सम्भावना है|

1 comment:

  1. "'Love the Lord your God with all your heart and with all your soul and with all your strength and with all your mind'; and, 'Love your neighbor as yourself.'"
    यह ईसाईयों के लिए पहली और सबसे बड़ी आज्ञा है जिसका यदि ईमानदारी से पालन किया जाए तो इसाईयत हिन्दू धर्म का ही भाग है| वर्त्तमान ईसाईयत एक सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था है| इसे चर्चीयनीति भी कह सकते हैं|

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