Sunday 11 December 2016

ह्रदय के उदगार .....

अनंत जन्मों से एकत्र हो रहे इस ह्रदय के सम्पूर्ण प्रेम को अभी इसी समय स्वीकार करो  .....
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वर्त्तमान शिक्षा हमें चरित्रवान नहीं बनाती, सिर्फ धन कमाना या बनाना मात्र सिखाती है| जब तक मनुष्य के जीवन में परमात्मा न हो, वह चरित्रवान हो ही नहीं सकता|
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हम लोग अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए अनेक मजारों पर जाकर अपना सिर पटकते हैं, विभिन्न देवी-देवताओं की मनौतियाँ करते हैं, यह हमारा लोभ ही है| हमें पता ही नहीं चलता कि ऐसा करने से हमारी चेतना कितनी नीचे चली जाती है| हम मंगते भिखारी ही बने रहते हैं|
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किसी भी शब्द को बोलने से पहले दस बार सोचें| अनमोल हैं हमारे वचन| हमारी वाणी मिथ्या न हो| लोभ-लालच में आकर झूठ न बोलें| सत्य ही नारायण है और सत्य ही परमशिव परमात्मा है| असत्य बोलने से हमारी वाणी दग्ध हो जाती है| उस दग्ध वाणी से की गयी कोई भी प्रार्थना, जप, स्तुति आदि कभी फलीभूत नहीं होती|
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द्वैत-अद्वैत, साकार-निराकार सब तुम्हीं हो| मुझे कोई संशय नहीं है| 
ॐ ॐ ॐ ||
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आत्म तत्व में स्थित होना ही स्वस्थ होना है|

1 comment:

  1. अब तेज सर्दी पड़ने लगी है|
    (1) सर्दियों में शुद्ध देशी घी से चुपड़ी अच्छी गुणवत्ता वाले बाजरे के आटे की रोटी अवश्य खाएँ| साथ में गुड़, लहसुन की चटनी और थोड़ी छाछ भी हो तो और भी अच्छा| बाजरे की रोटी से शरीर को खूब ऊर्जा मिलती है|
    (2) इस मौसम में प्रचुर मात्रा में अच्छी ताजी सब्जियाँ और फल खूब आते हैं जिनका सेवन खूब करना चाहिए|
    (3) सर्दियों में कच्ची हल्दी, अदरख, लहसुन, नीबू, तिल, केसर, गुड़, काली मिर्च आदि खूब लाभकारी होते हैं|

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