Sunday 23 October 2016

परमात्मा के लिए एक अभीप्सा यानि एक अतृप्त प्यास सदा ह्रदय में रहे .....

परमात्मा के लिए एक अभीप्सा यानि एक अतृप्त प्यास सदा ह्रदय में रहे .....
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परमात्मा की उपस्थिति का निरंतर आभास रहे| यही उपासना है| उपास्य के गुण उपासक में आये बिना नहीं रहते| परमात्मा की प्राप्ति की तड़प में समस्त इच्छाएँ विलीन हों और अचेतन मन में छिपी वासनाएँ नष्ट हों|
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परमात्मा को पाने की लगन होगी तो प्रकृति पूर्ण सहयोग करेगी| जब भी समय मिले भ्रूमध्य में पूर्ण भक्ति के साथ ध्यान कीजिये| निष्ठा और साहस के साथ हर बाधा को पार करें| अपने आप धीरे धीरे ध्यान का केंद्र सहस्त्रार हो जाएगा|
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परमात्मा से सिर्फ परमात्मा के लिए ही प्रार्थना करें| अन्य प्रार्थनाएँ महत्वहीन हैं| परमात्मा की शक्ति सदा हमारे साथ है| उससे जुड़कर ही हमारे शिव संकल्प पूर्ण हो सकते हैं|
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ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

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