Thursday 1 September 2016

परमात्व तत्व .....

परमात्व तत्व .....
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जिसे उपलब्ध होने के लिए ह्रदय में एक प्रचंड अग्नि जल रही है, चैतन्य में जिसके अभाव में ही यह सारी तड़प और वेदना है, वह परमात्मा ही है|
जानने और समझने योग्य भी एक ही विषय है, जिसे जानने के पश्चात सब कुछ जाना जा सकता है, जिसे जानने पर हम सर्वविद् हो सकते हैं, जिसे पाने पर परम शान्ति और परम संतोष व संतुष्टि प्राप्त हो सकती है, वह है .....परमात्म तत्त्व|
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जिससे इस सृष्टि का उद्भव, स्थिति और संहार यानि लय होता है .... वह परमात्मा ही है| वह परमात्मा ही है जो सभी रूपों में व्यक्त हो रहा है| जो कुछ भी दिखाई दे रहा है या जो कुछ भी है, वह परमात्मा ही है| परमात्मा से भिन्न कुछ भी नहीं है|
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सारी पूर्णता, समस्त अनंतता और सम्पूर्ण अस्तित्व परमात्मा ही है| उस परमात्मा को हम चैतन्य रूप में प्राप्त हों, उसके साथ एक हों|
उस परमात्मा से कम हमें कुछ भी नहीं चाहिए|
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

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