Tuesday, 4 November 2025

७ नवंबर १९१७ से पेत्रोग्राद (अब सेंट पीटर्सबर्ग ) में आरंभ हुई बोल्शेविक क्रांति को ७ नवंबर २०२५ को १०८ वर्ष हो जायेंगे ---

 ७ नवंबर १९१७ से पेत्रोग्राद (अब सेंट पीटर्सबर्ग ) में आरंभ हुई बोल्शेविक क्रांति को ७ नवंबर २०२५ को १०८ वर्ष हो जायेंगे। यह विश्व की एक अत्यधिक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसके पश्चात मार्क्सवादी (साम्यवादी) शासनों की स्थापना का क्रम आरंभ हुआ। ५८ वर्ष पूर्व 7 नवंबर १९६७ को इस क्रांति की ५०वीं वर्षगांठ पर मैं रूस में मनाए जा रहे उत्सवों का साक्षी था।

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एक समय था जब मैं मार्क्सवाद से बहुत अधिक प्रभावित था। लेकिन अब बात दूसरी है। मैं इसे सर्वहारा की क्रांति ही नहीं मानता। इस ने विश्व में असत्य का अंधकार ही अंधकार बहुत अधिक फैलाया। अब निष्पक्ष दृष्टि से सोचता हूँ तो यह वोल्गा नदी में खड़े क्रूजर युद्धपोत 'अवरोरा' से आरंभ हुआ तत्कालीन परिस्थितियों में एक सैनिक विद्रोह था, जिसे जर्मनी की सहायता से लेनिन ने रूस में आकर बोल्शेविक क्रांति का रूप दे दिया। रूस का तत्कालीन शासक ज़ार निकोलस रोमानोव एक अक्षम और बहुत कमजोर भोला-भाला शासक था। उसके समय भ्रष्टाचार अपने चरम पर था। वह रूस की सेना के तोपखाने में एक कर्नल रह चुका था। शासक की योग्यता उसमें नहीं थी। अगर वह सक्षम होता तो बात दूसरी ही होती। उस समय रूस का पूरा शासक वर्ग ही भ्रष्ट था। मार्क्सवादी बोल्शेविक क्रांति के बारे में कुछ भी टिप्पणी करने से पूर्व तत्कालीन विकट परिस्थितियों को समझना आवश्यक है। मेरे विचार से वह एक त्रासदी थी, कोई क्रांति नहीं।
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जो भी हुआ, मनुष्यता को उस अनुभव से निकलना था। इसी लिए मनुष्य रचित ये सारे वाद आये। इससे अधिक मैं नहीं लिखना चाहता।
कृपा शंकर
४ नवंबर २०२५

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