इस समय देश, समाज और धर्म की स्थिति वास्तव में बहुत अधिक खराब है।
धर्म एक ही है जिसे धारण किया जाता है। धर्म का पालन ही धर्म की रक्षा है। धर्म को वैशेषिक सूत्रों में परिभाषित किया गया है, मनु-स्मृति में इसके दस-लक्षण बताए गए हैं, और महाभारत ग्रंथ में इसे सबसे अच्छी तरह समझाया गया है।
निज जीवन में धर्म का पालन ही देश और समाज की सबसे बड़ी सेवा है। हम एक शाश्वत आत्मा हैं, जिसका स्वधर्म है -- "परमात्मा को समर्पित होने की अभीप्सा"। इससे अतिरिक्त अन्य कोई स्वधर्म-- शाश्वत आत्मा का नहीं है।
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जब आपके घर-परिवार-समाज में कोई व्यक्ति मरणासन्न हो, उसके जीवन की कोई आशा नहीं हो, तव वहाँ "राम" नाम का संकीर्तन करें। इससे बड़ा उपकार उसका अन्य कोई भी नहीं कर सकता। वैसे भी असहाय, निर्बल, रुग्ण व्यक्तियों के लिए राम नाम का संकीर्तन करना ही चाहिए। सबके आध्यात्मिक कल्याण की कामना सदा करें। सभी का कल्याण होगा। हरिः ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
13 सितंबर 2025
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