Wednesday, 2 July 2025

शब्दों की एक सीमा होती है ---

 शब्दों की एक सीमा होती है। कई बार अपने भावों को व्यक्त करने के लिए जिन शब्दों का हम प्रयोग करते हैं, वे शब्द गलत होते हैं, लेकिन उनका कोई विकल्प नहीं होता इसलिए उनका प्रयोग करना पड़ता है। उदाहरण के लिए मैं इन दो शब्दों को लेता हूँ -- "आत्म-साक्षात्कार" और "भगवत्-प्राप्ति"।

आत्मा तो सदा साक्षात् है, अतः आत्म-साक्षात्कार कैसा?
भगवान तो सदा प्राप्त हैं, अतः भगवत्-प्राप्ति कैसी?

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