असत्य और अंधकार की शक्तियों से हमारा एक युद्ध निरंतर चल रहा है, जिससे हम बच नहीं सकते। यह युद्ध तो लड़ना ही पड़ेगा। हम हर साँस के साथ असत्य के अंधकार पर प्रहार कर रहे हैं। अपना सारथी भगवान पार्थसारथी को बना लो, फिर देखो, विजय ही विजय है।
"यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम ॥१८: ७८॥"
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हे गुरु महाराज, आप धन्य हो। आपने मुझे एक घोर अंधकारमय नर्ककुंड से निकाल कर इस ज्योतिर्मय सन्मार्ग पर डाल दिया है, और अब भगवान का साक्षात्कार भी करवा रहे हो। आपकी परम कृपा से मुझे किसी भी तरह का कोई संशय नहीं रहा है। आपकी जय हो। मुझे आपके परमप्रेम के सिवाय और कुछ भी नहीं चाहिए। स्वयं परमशिव ही यह जीवन जी रहे हैं। ॐ ॐ ॐ !!
१२ फरवरी २०२३
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