भगवान समृद्धि तभी और उसी को दे, जिस में उसकी रक्षा करने का सामर्थ्य हो। हम समृद्धि की प्रार्थना करने से पूर्व, उसकी रक्षा करने में समर्थ बनें। ऐसी समृद्धि का क्या लाभ, जिसे ठग-चोर-बदमाश लूट लें ?
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भारत पर जिन विदेशियों ने शासन किया, वे सब डाकू -- हत्यारे, चोर और बदमाश थे। जो स्थल मार्ग से डाकू आए वे तो हत्यारे थे ही, समुद्री मार्ग से आए डाकू और भी अधिक खतरनाक भयंकर हत्यारे थे। भारत में सबसे पहले जो अंग्रेज़ आये, वे सब समुद्री डाकू थे। वे सूरत के तट पर आए, कुछ स्थानीय लोगों को भर्ती किया, उनके साथ घोड़ों पर बैठकर दिल्ली आए, जहांगीर बादशाह से मिले, और भारत में व्यापार करने की अनुमति ली। भारत में बादशाहों को वे सोने के आभूषण, विदेशी शराब और यूरोप की गोरी त्वचा की सुंदर लड़कियां भेंट में देते थे, जिनसे बादशाह लोग उनसे बहुत खुश रहते थे।
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सबसे बड़ा समुद्री डाकू और हत्यारा तो पुर्तगाल का वास्कोडीगामा था। चर्च द्वारा यूरोप से पूर्वी भाग को लूटने का ठेका पुर्तगाल को और यूरोप से पश्चिमी भाग को लूटने का ठेका स्पेन को दिया हुआ था। क्रिस्टोफर कोलंबस नाम का हत्यारा डाकू इसी उद्देश्य के लिए अमेरिका भेजा गया था।
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महासागरों में डकैतियाँ, गुलामों का व्यापार और चर्च में बहुत गहरा और घनिष्ठ संबंध रहा है। पुर्तगाल, स्पेन और इंग्लैंड -- ये समुद्री डाकुओं के देश थे। इन का मुख्य धंधा ही समुद्रों में लूटपाट, डकैतियाँ डालना और गुलामों का व्यापार करना था। इन के बारे में प्रचूर साहित्य उपलब्ध है।
कभी समय मिला तो समुद्री डाकुओं के बारे में लिखूंगा। अब भी समुद्रों में डकैतियाँ कहाँ कहाँ होती हैं, यह भी बताऊंगा।
ॐ तत्सत् !!
२४ दिसंबर २०२३
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