भारत के लिए ये ५ जलडमरूमध्य स्वतंत्र और सुचारू अंतर्राष्ट्रीय नौपरिवहन के लिए अति आवश्यक हैं -- मलक्का, बाब-अल-मंडेब, होरमुज, बास्फोरस और जिब्राल्टर। स्वेज़ और पनामा नहरों का चालू रहना भी बहुत अधिक आवश्यक है।
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समुद्रों में जो मालवाहक जहाज चलते हैं, उनका एक अंतर्राष्ट्रीय नियम होता है कि वे जिस देश में पंजीकृत होते हैं, उसी देश का ध्वज उन पर फहराया जाता है, और वे चलते-फिरते उसी देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। किसी भी समुद्री मालवाहक जहाज पर आक्रमण उस देश पर आक्रमण माना जाता है जिस देश का ध्वज उस जहाज पर फहराया हुआ है। यदि भारत के ध्वज-वाहक किसी भी मालवाहक जहाज पर कहीं भी आक्रमण होता है तो वह भारत पर आक्रमण ही माना जायेगा। भारत के ध्वज-वाहक जहाजों की रक्षा के लिए ही भारतीय नौसेना के अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित दो युद्धपोत हर समय अदन की खाड़ी में गश्त लगाते रहते हैं। वहाँ अब तक सबसे बड़ा खतरा सोमालिया के समुद्री डाकुओं से था, अब यमन के ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों से है। ये हूती विद्रोही शिया मुसलमान हैं, और उनका झगड़ा पिछले ५० वर्षों से वहाँ के सुन्नी मुसलमानों से चल रहा है। सोमालिया के समुद्री डाकू सब सुन्नी मुसलमान हैं, जिनका धंधा ही डकैती है। अभी दो दिन पहले ही भारत की आर्थिक सीमा (Exclusive Economic Zone) में भारत के ही एक Chemical Carrier (हजारों टन केमिकल रूपी माल के परिवाहक) जहाज पर आक्रमण एक बहुत ही गंभीर घटना है।
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आज से ६०-७० वर्षों पहले तक कोई जमाना था जब अदन (यमन की तत्कालीन राजधानी) के बाजार भारतीयों से भरे हुए थे। सारी बड़ी बड़ी दुकानें भारतीयों की थीं, और वहाँ का सारा व्यापार भारतीयों के हाथ में था। फिर एक दिन ऐसा आया जब वहाँ (इस्लामिक) क्रान्ति हुई और वहाँ के हिन्दू भारतीय व्यापारियों को अपना सब कुछ छोड़कर जो कपड़े वे पहिने हुये थे उन्हीं में प्राण बचाने के लिए भारत में भाग कर शरण लेनी पड़ी।
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जब हूती विद्रोहियों में और सऊदी अरब में युद्ध आरंभ हुआ था तब भारत सरकार वहाँ काम कर रहे सारे भारतियों को सुरक्षित रूप से बापस भारत ले आई थी। अब हूती विद्रोहियों ने बाब-अल-मंडेब से गुजर रहे सभी जहाजों पर आक्रमण आरंभ कर दिया है। यह विश्व-युद्ध की भूमिका है।
२४ दिसंबर २०२३
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