जब से भगवान से प्रेम करके देखा है, तब से और कुछ भी देखने की इच्छा नहीं है
आज बेलगांव (कर्नाटक) से एक भक्त महिला का फोन आया, जो पूछ रही थीं कि मैं क्या साधना करता हूँ। मैंने कहा कि मैं कुछ भी साधना नहीं करता, जो भी करना है वह मेरे प्रभु ही करते हैं। मैंने तो अपनी अंगुली उनके हाथ में पकड़ा रखी है, और कुछ भी नहीं करता। जो करना है वह मेरे प्रभु ही करते हैं।
भगवान कभी नहीं बदलते। लेकिन समय के साथ उनकी सृष्टि में सब कुछ बदल जाता है। संसार परिवर्तनशील है। सारा दृश्य भगवान की माया है। भगवान भी क्या क्या दृश्य दिखलाते हैं ! इस संसार में बहुत कुछ अनुभव किया है, लोगों के कष्ट भी बहुत देखे हैं, और उनकी कष्ट सहने की शक्ति भी। झूठ, लोभ, अहंकार, छल, कपट, व विश्वासघात भी बहुत अधिक देखा है; और सत्यनिष्ठा भी।
लेकिन जब से भगवान से प्रेम करके देखा है, तब से और कुछ भी देखने की इच्छा नहीं है। ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३० दिसंबर २०२४
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पुनश्च: --- अपने परम ज्योतिर्मय रूप में स्वयं भगवान वासुदेव यहाँ बिराजमान हैं। दाएँ-बाएँ और ऊपर मृत्यु है, लेकिन उनकी कृपा से मार्ग प्रशस्त है। मुझे अपना एक उपकरण यानि निमित्त मात्र बनाकर वे स्वयं ही अपनी ओर चल रहे हैं।
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