क्रिसमस का त्योहार और सांता क्लॉज़ ---
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कहानी है कि सांता क्लॉज़ यानि फादर क्रिसमस फिनलैंड के लोपलैंड प्रान्त में कोरवातुन्तुरी के पहाड़ों में अपनी पत्नी श्रीमती क्लॉज़ के साथ रहता है। रैनडियर द्वारा खींची जाने वाली स्लेज गाड़ी पर बैठकर क्रिसमस से एक दिन पूर्व वह रात को आता है और सभी बच्चों को खिलौने देता है, व टॉफी, केंडी और चॉकलेट खिलाता है।
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वास्तविकता यह है कि सांता क्लॉज़ नाम का चरित्र कभी इतिहास में जन्मा ही नहीं। यह ईसा की चौथी शताब्दी में सैंट निकोलस नाम के एक ग्रीक पादरी के दिमाग की कल्पना थी जो एशिया माइनर (वर्तमान तुर्की) के म्यरा नामक स्थान में जन्मा था। सन १८२३ ई.में सांता क्लॉज़ नाम की एक कविता अमेरिका और कनाडा में अति लोकप्रिय हुई, और उन्नीसवीं सदी में सांता क्लॉज़ के ऊपर लिखे गए कई गाने वहाँ अत्यधिक लोकप्रिय हुए। ठण्ड से पीड़ित स्केंडेनेवियन देशों -- नोर्वे, स्वीडन और डेनमार्क के, व अन्य ठन्डे ईसाई देशों के पादरियों ने ठण्ड से पीड़ित अपने देशों के बच्चों के मन को बहलाने के लिए सांता क्लॉज़ की कल्पना को खूब लोकप्रिय बनाया। बच्चों के मनोरंजन के लिए जैसे सुपरमैन, बैटमैन, स्पाइडरमैन, ग्रीन लैंटर्न, हल्क, डोनाल्ड डक, मिक्की माउस इत्यादि अनेकों कार्टून चरित्रों की कल्पना की गयी है वैसे ही संता क्लॉज़ भी एक काल्पनिक चरित्र है।
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भारत में इसकी लोकप्रियता का कारण बाजारवाद और अपने लोगों का विज्ञापनों से प्रभावित होना मात्र ही है। हम लोग एक आत्महीनता और हीन-भावना से ग्रस्त हैं, अतः बेवश होकर बच्चों की खुशी के लिये प्रसन्न होने का नाटक कर के यह नाटक मनाते हैं। मेरी दृष्टि में यह एक फूहड़पन और सांस्कृतिक पतन है। अपने बच्चों को इस सांस्कृतिक पतन से बचाएँ। अगर किसी स्कूल में यह मनाते हैं तो अपने बच्चों को मना कर दें कि वे इसमें भाग न लें।
धन्यवाद॥
कृपा शंकर
२१ दिसंबर २०२३
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