Sunday, 9 January 2022

भगवान की प्राप्ति से अधिक सरल अन्य कुछ भी नहीं है ---

 भगवान की प्राप्ति से अधिक सरल अन्य कुछ भी नहीं है| भगवान कहीं दूर नहीं, हमारे हृदय में ही बैठे हुए हैं ---

"ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति| भ्रामयन्सर्वभूतानि यन्त्रारूढानि मायया||"
.
वे किसे मिलते हैं?---
"निर्मल मन जन सो मोहि पावा | मोहि कपट छल छिद्र न भावा ||"
उन्हें पाने के लिए अपने अन्तःकरण का स्वभाव स्वच्छ और शुद्ध करना होगा| फिर वे तो मिले हुए ही हैं| हमारे और भगवान के मध्य में कोई दूरी नहीं है| जहाँ कपट और छल हैं, वे वहाँ नहीं आ सकते| छल-कपट से मुक्त होते ही भगवान तो मिले हुए ही हैं।
.
मैं उन सब सज्जनों, साधु-संतों को भी हार्दिक धन्यवाद देता हूँ, जिन्होनें मुझे अपने साथ सत्संग का अवसर दिया| जब से भगवान हृदयस्थ हो गए हैं, किसी बाहरी सत्संग की आवश्यकता नहीं रही है| सारे भेद समाप्त हो रहे हैं|
सभी को धन्यवाद और नमन!!

No comments:

Post a Comment