वर्तमान परिस्थितियों में वह सर्वश्रेष्ठ क्या है, जो मैं कर सकता हूँ? ---
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स्वयं की, परिवार की, समाज की, राष्ट्र की, व विश्व की, वर्तमान परिस्थितियों में निज क्षमता और योग्यतानुसार ईश्वर-प्रदत्त निज विवेक के प्रकाश में जो भी सर्वश्रेष्ठ किया जा सकता है, वह एक निमित्त मात्र होकर मैं निश्चित रूप से करूँगा। वास्तव में कर्ता तो भगवान स्वयं हैं, जिन का मैं एक उपकरण मात्र हूँ।
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मेरा गन्तव्य और एकमात्र लक्ष्य "परमशिव" हैं, जो इतने ज्योतिर्मय हैं कि उन के मार्ग में किसी भी तरह का कोई संशय और असत्य का अंधकार नहीं है। वहाँ प्रकाश ही प्रकाश है। उन्हीं के प्रकाश से सारी सृष्टि प्रकाशित है।
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मैं नित्य जीवन-मुक्त और उनकी पूर्णता हूँ। ॐ तत्सत्॥ ॐ ॐ ॐ॥
कृपा शंकर
४ दिसंबर २०२१
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