Monday, 6 December 2021

धर्म की हानि और उत्थान क्या है? पाप और पुण्य क्या है? ---

(१) धर्म की हानि और उत्थान क्या है? ---

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अपनी चेतना को मूलाधार व स्वाधिष्ठान चक्रों में रखना निश्चित रूप से धर्म की हानि है।

अपनी चेतना को आज्ञाचक्र व उस से ऊपर रखना धर्म का उत्थान है।

ॐ स्वस्ति !! ॐ तत्सत् !!
२ दिसंबर २०२१
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(२) पाप और पुण्य क्या है? ---
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चेतना का मूलाधार और स्वाधिष्ठान चक्रों में रहना ही पाप है। सारे पाप वहीं से होते हैं।
चेतना का आज्ञाचक्र और सहस्त्रार में रहना ही पुण्य है। सारे पुण्य वहीं से होते हैं।
मूलाधार से सहस्त्रार तक की यात्रा पुण्योदय है।
सहस्त्रार में स्थिति ही श्रीगुरु-चरणों में मिला आश्रय है। श्रीगुरु-चरणों में आश्रय लेकर वहीं रहें। ज्योतिर्मय-ब्रह्म का ध्यान, और नाद-ब्रह्म का श्रवण भी वहीं करे।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
३ दिसंबर २०२१

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