Sunday 21 November 2021

"धर्म" कभी नष्ट नहीं होता ---

"धर्म" कभी नष्ट नहीं होता। उसे समझने की मानवी शक्ति ही घटती-बढ़ती रहती है। सारी सृष्टि ही अपने धर्म का पालन कर रही है।
असीम काम वासनाओं की पूर्ति के प्रलोभन, लोभ और भय के वशीभूत होकर चलने वाले पंथ --- असत्य और अंधकार की शक्तियाँ व अधर्म हैं।
सब सत्य-धर्मनिष्ठों की रक्षा हो। धर्म एक सत्य-सनातन-धर्म ही है, जिस की रचना सृष्टि के साथ हुई है। अन्य सब पंथ, रिलीजन, या मज़हब हैं।
परमात्मा की प्रकृति अपने धर्म का पालन बड़ी तत्परता और कठोरता से करती है। प्रकृति के नियमों को न समझना हमारा अज्ञान है।
कई बड़े गूढ रहस्य की बातें हैं जिन्हें अच्छी तरह समझते हुए, और चाहते हुए भी मैं व्यक्त नहीं कर पाता। व्यक्त करने का प्रयास करता हूँ तो कोई न कोई विक्षेप आ ही जाता है। संभवतः प्रकृति का यही नियम होगा।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
२३ नवंबर २०२१

 

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