Saturday 7 December 2019

भगवान "हैं", यहीं "हैं", सर्वत्र "हैं", इसी समय "हैं", और सर्वदा "हैं"....

भगवान "हैं", यहीं "हैं", सर्वत्र "हैं", इसी समय "हैं", और सर्वदा "हैं"| जब वे हैं, तो सब कुछ है| उनकी इस उपस्थिति ने तृप्त, संतुष्ट और आनंदित कर दिया है| वे ही वे बने रहें, और कुछ भी नहीं| सारी चेतना उनकी उपस्थिति से आलोकित है| जब वे हैं, तो सब कुछ है| मैं उन के साथ एक हूँ| कहीं कोई भेद नहीं है| मैं उनकी पूर्णता हूँ| मैं उनकी सर्वव्यापकता हूँ| मैं यह देह नहीं, मैं परमशिव पारब्रह्म हूँ|
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भगवान "है" ..... इस "है" शब्द में ही सब कुछ है| यही "हंसः" होकर हंस-गायत्री अजपा-जप हो जाता है, यही "सोहं" है, यही और भी गहरा होकर परमात्मा का वाचक "ॐ" हो जाता है| इस "है" शब्द को कभी नहीं भूलें| भगवान निरंतर हर समय हमारे साथ एक है, कहीं कोई पृथकता नहीं है| भगवान है, यहीं है, सर्वत्र है, इसी समय है, सर्वदा है, वह ही वह है, और कुछ भी नहीं है, सिर्फ भगवान ही है|
यह "है" ही सोम है| कुंडलिनी महाशक्ति जागृत होकर सुषुम्ना में ऊर्ध्वगामी भी इस हSSSS शब्द के साथ ही होती है| और भी बहुत कुछ है जो अनुभूतिजन्य है, उसे शब्दों में व्यक्त करना बड़ा कठिन है| भगवान है, यह सार की बात है| इस "है" शब्द को कभी न भूलें|
ॐ तत्सत ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
५ नवंबर २०१९

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