Saturday 7 December 2019

सनातन हिन्दू धर्म के बारे में दो शब्द .....

सनातन हिन्दू धर्म के बारे में दो शब्द .....
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जैसा मुझ अकिंचन को अपनी सीमित अल्प बुद्धि से समझ में आया है सनातन हिन्दू धर्म है ..... "परमात्मा के प्रति परम प्रेम, समर्पण और उपासना|"
धर्म ने हमें धारण किया हुआ है, धर्म के कारण ही हम बचे हुये हैं, और धर्म ही हमारी रक्षा कर रहा है| सनातन वह है जो अनादि काल से चला आ रहा है यानि नित्य है| धर्म वह है जो धारणीय है, जिससे हमारा सम्पूर्ण विकास हो व सब तरह के दुःखों व कष्टों से मुक्ति हो| हम धर्म की रक्षा करेंगे तभी धर्म हमारी रक्षा करेगा| धर्म का पालन ही धर्म की रक्षा है|
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अत्यधिक भयावह क्रूरतम मर्मान्तक प्रहारों के पश्चात भी सनातन धर्म कालजयी और अमर है| धर्म का अर्थ कर्मकांड नहीं है| कर्मकांड तो मात्र एक व्यवस्था है जिसमें समय समय पर परिवर्तन होते रहे हैं, यह धर्म का मूल बिंदु नहीं है| जब तक हिन्दुओं में दस लोग भी ऐसे हैं जो परमात्मा से जुड़े हुए हैं तब तक भारत व सनातन हिन्दू धर्म का नाश नहीं हो सकता| सनातन धर्म समाप्त हुआ तो यह सृष्टि ही समाप्त हो जाएगी|
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सनातन धर्म ही भारत की अस्मिता है| भारत का उद्धार और विस्तार भी ऐसे महापुरुष ही करेंगे जो भगवान को पूर्णरूपेण समर्पित हैं| भगवान हमारी माता भी हैं और पिता भी| वे जब हैं तो भय कैसा? वे तो सब प्रकार के भयों से वे हमारी रक्षा करते हैं| भारत का सबसे बड़ा अहित किया है अधर्मसापेक्ष यानि धर्मनिरपेक्ष अधर्मी सेकुलरवाद, मार्क्सवाद और मैकाले की शिक्षा व्यवस्था ने| विडम्बना है कि आधुनिक भारत के अनेक साहित्यकारों ने धर्मनिरपेक्षता (अधर्मसापेक्षता) और मार्क्सवाद को बढ़ावा दिया है जिसका दुष्प्रभाव समाज पर पड़ा है, जिसके कारण समाज में धर्म का ह्रास और ग्लानि भी हुई है| समाज में चरित्रहीनता अधर्मसापेक्षता (धर्मनिरपेक्षता) के कारण ही है|
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हमारे आदर्श भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण हैं, जिन पर हमें गर्व है| वे ही हमारे जीवन के केंद्रबिंदु हैं| हम सब के जीवन में सनातन धर्म की पूर्ण अभिव्यक्ति हो| ॐ तत्सत | ॐ नमः शिवाय ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२६ अक्तूबर २०१९

1 comment:

  1. हमारे सामने कोई फल या मिठाई रखी हो तो सार उसको खाकर तृप्त होने में है या उसकी चर्चा करने में? परमात्मा की बाते नहीं, उसका अवतरण निज जीवन में कीजिये|

    धर्म भी आचरण से होता है, बातों से नहीं| धर्म का आचरण ही धर्म है, उसका विवरण नहीं| धर्म की रक्षा हम धर्म का पालन कर के ही कर सकते हैं, उसकी महिमा का बखान कर के नहीं|

    धर्म तभी होगा जब हम धर्म का आचरण करेंगे| हम धर्म का आचरण करेंगे तभी धर्म हमारी रक्षा करेगा, अन्यथा नहीं|

    ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!

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