"शैतान" कोई झूठी परिकल्पना नहीं, एक वास्तविकता है .....
परमात्मा की सृष्टि में "शैतान" एक सर्वव्यापी सचेतन मायावी आसुरी शक्ति है जो हमें निरंतर पतन की ओर धकेलती है| यह सर्वप्रथम "काम वासना" के रूप में, फिर "लोभ" के रूप में, फिर "राग-द्वेष" और "अहंकार" के रूप में स्वयं को व्यक्त करती है| भगवान् की कृपा ही हमें इस से बचा सकती है|
जो माया हमें सत्य यानि परमात्मा से दूर रखती है, उसे ही इब्राहिमी मज़हबों (ईसाईयत, इस्लाम और यहूदीवाद) ने "शैतान" का नाम दिया है| अब हम उसे समझें या न समझें यह हमारी स्वयं की समस्या है| ॐ ॐ ॐ ||
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