Friday, 13 July 2018

दिल का हुजरा साफ़ कर ज़ाना के आने के लिए .....

दिल का हुजरा साफ़ कर ज़ाना के आने के लिए .....
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घर में जब कोई मेहमान आते हैं तो उनको बैठाने के स्थान को बहुत अच्छी तरह से साफ़ करते हैं कि कहीं कोई गन्दगी न रह जाए| पर हम यो यहाँ साक्षात परमात्मा को निमंत्रित कर रहे हैं| देह में या मन में कहीं भी कोई गन्दगी होगी तो वे नहीं आयेंगे| अपने हृदय मंदिर को तो विशेष रूप से साफ़ करना होगा| ह्रदय मंदिर को स्वच्छ कर जब उसमें परमात्मा को बिराजमान करेंगे तो सारे दीपक अपने आप ही जल जायेंगे, कहीं कोई अन्धकार नहीं रहेगा, आगे के सारे द्वार खुल जायेंगे और मार्ग प्रशस्त हो जायेगा| वहाँ उनके सिवा अन्य कोई नहीं होगा| एक बहुत पुरानी और बहुत प्रसिद्ध ग़ज़ल है ....
"दिल का हुजरा साफ़ कर ज़ाना के आने के लिए,
ध्यान गैरों का उठा उसके ठिकाने के लिए |
चश्मे दिल से देख यहाँ जो जो तमाशे हो रहे,
दिलसिताँ क्या क्या हैं तेरे दिल सताने के लिए ||
एक दिल लाखों तमन्ना उसपे और ज्यादा हविश,
फिर ठिकाना है कहाँ उसको टिकाने के लिए |
नकली मंदिर मस्जिदों में जाये सद अफ़सोस है,
कुदरती मस्जिद का साकिन दुःख उठाने के लिए ||
कुदरती क़ाबे की तू मेहराब में सुन गौर से,
आ रही धुर से सदा तेरे बुलाने के लिए |
क्यों भटकता फिर रहा तू ऐ तलाशे यार में,
रास्ता शाह रग में हैं दिलबर पे जाने के लिए ||
मुर्शिदे कामिल से मिल सिदक और सबुरी से तकी,
जो तुझे देगा फहम शाह रग पाने के लिए |
गौशे बातिन हों कुशादा जो करें कुछ दिन अमल,
ला इल्लाह अल्लाहहू अकबर पे जाने के लिए ||
ये सदा तुलसी की है आमिल अमल कर ध्यान दे,
कुन कुरां में है लिखा अल्ल्हाहू अकबर के लिए ||
(लेखक: तुलसी साहिब)
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ह्रदय की अनुभूतियाँ शब्दों से परे हैं| उन्हें कोई व्यक्त नहीं कर सकता| कहीं कोई हसरत, तड़प और अरमान दिल में नहीं रहते| वह एक वर्णनातीत अनुभूति है| उस और ताकते रहो, लगातार देखते रहो, रहस्य अपने आप खुल जायेंगे| कुछ भी नहीं करना है|
"दीदार की हविश है तो नज़रें जमा के रख, चिलमन हो या नकाब सरकता जरूर है|"
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ऊपर से कुछ मत थोपो, सारे गुण अपने आप प्रकट हो जायेगे| एक ही गुण "प्रेम" होगा तो बाकी सारे गुण अपने आप आ जायेंगे| पूर्णता तो हम स्वयं हैं, आवरण अधिक समय तक नहीं रह सकता| ॐ तत्सत ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१२ जुलाई २०१८

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