Monday 12 March 2018

हम हर प्रकार की मानसिक दासता से मुक्त हों .....

हम हर प्रकार की मानसिक दासता से मुक्त हों .....
.
हम किसी भी समाचार पत्र, दूरदर्शन, पत्रिकाओं और पुस्तकों में व्यक्त विचारों, व मिलने जुलने वाले व्यक्तियों की सोच से प्रभावित ना हों|
हमारे विचार स्वतंत्र हों और निज विवेक पर आधारित हों|
जहाँ बुद्धि काम नहीं करती वहाँ शास्त्र प्रमाण हैं|
हम यह सीमित देह नहीं हैं|
सारे ब्रह्मांड से भी बड़ी हमारी चेतना और अस्तित्व है|
ये सब चाँद, तारे, ग्रह, नक्षत्र और आकाशगंगाएँ हमारी ही देह के भाग हैं| समस्त सृष्टि और परमात्मा की अनंतता ही हमारा घर है| सब प्राणी हमारा ही परिवार हैं|
भगवान परमशिव ही हमारी गति हैं|
वे लोग बहुत भाग्यशाली हैं जो भगवान से प्रेम करते करते स्वयं प्रेममय हो जाते हैं|
इस परमप्रेम की परिणिति ही आनंद है|
.
यह विराटता, सर्वव्यापकता और सम्पूर्णता ही परमब्रह्म परमशिव का स्वरुप है| यही हमारा वास्तविक घर और अस्तित्व है| यही हमारी वास्तविक देह है| कहाँ हम अपने तुच्छ अहंकार और ममत्व में फँसे हैं? प्रभु की इस अनंत विराटता में प्रेममय समर्पण ही परमात्मा से साक्षात्कार है|

हे परमशिव, मैं आपका अमृतपुत्र हूँ, मुझे अपने साथ एक करो, मैं आपसे पृथक नहीं, आप और मैं एक हैं| आप ही मेरी गति हैं| मेरा कोई अस्तित्व नहीं, मैं नहीं, आप ही आप हैं|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१३ मार्च २०१५

No comments:

Post a Comment