Friday 8 September 2017

आत्मा में श्रद्धा .....

आत्मा में श्रद्धा .....
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आत्मा ही सत्य है, आत्मा ही तत्व है, आत्मा ही हमारा वास्तविक स्वरुप है, और आत्मा में श्रद्धा ही आलोक के सारे द्वार खोलती है | श्रद्धा ही सारे फल देती है और यह श्रद्धा ही है जिसने हमें यह जीवन दे रखा है | श्रद्धा हर प्रकार के भटकाव से हमारी रक्षा करती है |
श्रद्धा और विश्वास ही पुरुष व प्रकृति हैं, श्रद्धा और विश्वास ही भवानी शंकर हैं, श्रद्धा और विश्वास ही परम पिता और जगन्माता हैं |
संत तुलसीदास जी ने भी रामचरितमानस के आरम्भ में ही श्रद्धा-विश्वास के रूप में भवानी शंकर की वन्दना की है .....
भवानी शङ्करौ वन्दे श्रद्धा विश्वास रूपिणौ | याभ्यां विना न पश्यन्ति सिद्धाःस्वान्तःस्थमीश्वरम् ||

हे प्रभु, हमारी श्रद्धा, हमारी आस्था कभी विचलित न हो |
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
३१ अगस्त २०१७

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