Sunday, 15 January 2017

गुरु महाराज का साथ हर क्षण निरंतर है ....

गुरु महाराज का साथ हर क्षण निरंतर है ....
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जीवन के दुःख-सुख में जिन्होनें कभी साथ मेरा साथ नहीं छोड़ा, मेरे द्वारा भुलाए जाने पर भी जिन्होनें कभी मुझे विस्मृत नहीं किया, जिन्होनें मेरे द्वारा की गयी हिमालय से भी बड़ी बड़ी अनेक भूलों को क्षमा कर दिया, जिन्होंने मुझे अपनी कृपा दृष्टी से कभी ओझल नहीं होने दिया; जिन्होनें मेरे चैतन्य में अचिन्त्य परमात्मा का प्रेम सदा जगाये रखा, जिनके स्मरण मात्र से वेदान्त के गूढ़तम रहस्य स्वतः ही अनावृत हो जाते हैं, ऐसे महान शाश्वत मित्र गुरु महाराज को मेरे ह्रदय का पूर्ण प्रेम समर्पित है| जय गुरु ! ॐ गुरु !
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

2 comments:

  1. धारणा व ध्यान : हम अनंत, सर्वव्यापक, असम्बद्ध, अलिप्त व शाश्वत हैं| हं सः| ॐ ||

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  2. मैं अपने स्वभाव के विरुद्ध नहीं जा सकता| एक ही विषय के ऊपर लिखते लिखते अनेक वर्ष बीत गए हैं| विषय मेरा एक ही है ..... "परमात्मा से परम प्रेम", वही मूलभूत बात है, बाकी सब उसी का विस्तार है|
    एक ही बात को बार बार पढने से अनेक लोग बोर होकर चले गये| मैं अब अन्य किसी भी विषय पर लिखने में असमर्थ हूँ| पहले कुछ लेख राष्ट्रवाद पर भी लिखे थे. पर वैसे लेख अब नहीं लिख सकता| लिखूंगा तो परम प्रेम पर ही लिखूंगा, अन्यथा कुछ लिखूंगा ही नहीं| मुझे इसी में आनंन्द मिलता है| यह मेरा स्वभाव हो गया है|

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