Monday 19 September 2016

शिखा की आवश्यकता व शिखा बंधन ..............

शिखा की आवश्यकता व शिखा बंधन ..............
------------------------------------------
आज से साठ-सत्तर वर्षों पहिले तक भारत के सब हिन्दू , और चीन में प्रायः सभी लोग शिखा रखते थे| शिखा रखने के पीछे एक बहुत बड़ा वैज्ञानिक कारण है|
.
खोपड़ी के पीछे के अंदरूनी भाग को संस्कृत में मेरुशीर्ष और अंग्रेजी में Medulla Oblongata कहते हैं| यह देह का सबसे अधिक संवेदनशील भाग है| मेरुदंड की सब शिराएँ यहाँ मस्तिष्क से जुडती हैं| इस भाग की कोई शल्य क्रिया नहीं हो सकती| जीवात्मा का निवास भी यहीं होता है| देह में ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रवेश यहीं से होता है|
.
यहीं आज्ञा चक्र है जहाँ प्रकट हुई कूटस्थ ज्योति का प्रतिविम्ब भ्रू-मध्य में होता है|
योगियों को नाद की ध्वनि भी यहीं सुनती है|
देह का यह भाग ग्राहक यंत्र (Receiver) का काम करता है| शिखा सचमुच में ही Receiving Antenna का कार्य करती है| ध्यान के पश्चात् आरम्भ में योनीमुद्रा में कूटस्थ ज्योति के दर्शन होते हैं| वह ज्योति कुछ काल के अभ्यास के पश्चात आज्ञा चक्र और सहस्त्रार के मध्य में या सहस्त्रार के ऊपर नीले और स्वर्णिम आवरण के मध्य श्वेत पंचकोणीय नक्षत्र के रूप में दिखाई देती है| योगी लोग इसी ज्योति का ध्यान करते हैं और इस पञ्चकोणीय नक्षत्र का भेदन करते हैं| यह नक्षत्र ही पंचमुखी महादेव है|
(कोई भी साधना अधिकारी ब्रह्मनिष्ठ गुरु के मार्गदर्शन में ही करें)
.
मेरुदंड व मस्तिष्क के अन्य चक्रों (मेरुदंड में मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत और विशुद्धि, व मस्तिष्क में आज्ञा और सहस्त्रार, व सहस्त्रार के भीतर --- ज्येष्ठा, वामा और रौद्री ग्रंथियों व श्री बिंदु को ऊर्जा यहीं से वितरित होती है|
.
शिखा धारण करने से यह भाग अधिक संवेदनशील हो जाता है|
भारत में जो लोग शिखा रखते थे वे मेधावी होते थे| अतः शिखा धारण की परम्परा भारत के हिन्दुओं में है|
.
संध्या विधि में संध्या से पूर्व गायत्री मन्त्र या शिखाबंधन मन्त्र के साथ शिखा बंधन का विधान है| इसके पीछे और कोई कारण नहीं है यह मात्र एक संकल्प और प्रार्थना है| किसी भी साधना से पूर्व ..... शिखा बंधन मन्त्र के साथ होता है, यह एक हिन्दू परम्परा मात्र है| इसके पीछे यदि और भी कोई वैज्ञानिकता है तो उसका बोध गहन ध्यान में माँ भगवती की कृपा से ही हो सकता है|
.
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

September 19, 2015 at 8:08pm

No comments:

Post a Comment