Saturday 13 August 2016

स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ ......

सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ ........
क्या हम वास्तव में स्वतंत्र हैं ? यदि हैं तो किस दृष्टिकोण से ?
क्या इस यक्ष प्रश्न का कोई उत्तर किसी के पास है ?
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जहाँ तक मेरी सोच है, हम किसी भी दृष्टी से स्वतंत्र नहीं हैं| हमारी स्वतन्त्रता ऐसी ही है जैसे किसी अस्पताल के सभी रोगी मिलकर स्वास्थ्य दिवस मनाएँ और स्वस्थ होने का झंडा फहराकर एक दूसरे को बधाई दें और कहें कि अब हम सब स्वस्थ हैं|
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हम न तो आध्यात्मिक दृष्टी से स्वतंत्र हैं, और न ही मानसिक दृष्टी से| आध्यात्मिक दृष्टी से हम अपनी वासनाओं के गुलाम हैं| मानसिक दृष्टी से हम अभी भी अंग्रेजियत के गुलाम हैं|
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जो तथाकथित आज़ादी हमें मिली वह आजादी थी या सत्ता का हस्तांतरण?
जिसे हम स्वतन्त्रता कहते हैं वह क्या हमारी उच्शृन्खलता नहीं है? हमारे में नागरिक भावों की कमी है|
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यह आज़ादी मिली भी तो किस कीमत पर? देश के दो टुकड़े करवा कर और लाखों लोगों की जघन्य हत्याएँ और लाखों महिलाओं व बच्चों के अपहरण, बलात्कार और बलात धर्मांतरण के पश्चात|
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भारत की नष्ट हुई भव्य प्राचीन शिक्षा व कृषि व्यवस्था, सनातन धर्म और प्राचीन महानतम सभ्यता के ह्रास की पीड़ा असहाय होकर देखने को बाध्य हूँ| देश में आरक्षण के नाम पर योग्यता की ह्त्या, जातिवाद, ओछी राजनीति, और भ्रष्टाचार व अन्याय देखकर यह सोचने को बाध्य हूँ कि क्या हम वास्तव में स्वतंत्र हैं|
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हम अभी भी कॉमन वेल्थ के सदस्य क्यों हैं? हमारे संविधान में धारा 147 जैसी धाराएँ अभी भी अस्तित्व में क्यों हैं जो हमें हमें अभी भी अंग्रेजों का गुलाम ही मानती हैं?
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हमारी स्थिति कामायनी के मनु जैसी ही है जो ...
"हिमगिरी के उत्तुंग शिखर पर,
बैठ शिला की शीतल छाँह |
एक व्यक्ति भीगे नयनों से,
देख रहा था प्रलय अथाह ||"
हम भी असहाय होकर उस अथाह प्रलय के साक्षी होने को बाध्य हैं|
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मैं उन सभी शरणार्थियों को भी धन्यवाद देता हूँ जो विभाजन के पश्चात् अपना सब कुछ छोड़ कर भारत आ गए पर अपना धर्म नहीं छोड़ा| सनातन धर्म उन सब का सदा ऋणी रहेगा| उन सब को भी सद्गति प्राप्त हो जिन्होनें विधर्मियों के हाथों मरना स्वीकार किया पर अपना प्रिय सनातन धर्म नहीं छोड़ा|
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प्रसाद जी के शब्दों में ....
जो घनीभूत पीड़ा थी, मस्तिष्क में स्मृति सी छाई |
दुर्दिन में आँसू बनकर वो आज बरसने आई ||"
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मेरे विचार से तो असली स्वतंत्र वही है जो आध्यात्मिक दृष्टी से जीवनमुक्त है, जो त्रिगुणातीत है, जिसने तुरीयावस्था को प्राप्त कर लिया है| वही व्यक्ति कह सकता है ..... शिवोहं शिवोहं अहं ब्रह्मास्मि|
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आज़ाद हिन्द फौज का राष्ट्र गीत ...
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शुभ सुख चैन की बरखा बरसे
भारत भाग्य है जागा

पंजाब सिंध गुजरात मराठा
द्राविड़ उत्कल बंगा
चंचल सागर विन्ध्य हिमालय,
नीला जमुना गंगा
तेरे नित गुण गायें
तुझसे जीवन पायें
हर तन पाए आशा
सूरज बन कर जग पर चमके
भारत नाम सुहागा
जय हे, जय हे, जय हे
जय जय जय जय हे
सबे के दिल में प्रीत बसाये,
तेरी मीठीं बाणी
हर सूबे के रहने वाले,
हर मज़हब के प्राणी
सब भेद और फर्क मिटा के
सब गोद में तेरी आके
गूंधे प्रेम की माला
सूरज बन कर जग पर चमके
भारत नाम सुहागा
जय हे, जय हे, जय हे
जय जय जय जय हे।
सुबह सवेरे पंख पखेरू
तेरे ही गुण गायें
बस भारी भरपूर हवाएं
जीवन में रुत लायें
सब मिलकर हिन्द पुकारे,
जय आजाद हिन्द के नारे /
प्यार देश हमारा
सूरज बन कर जग पर चमके
भारत नाम सुहागा
जय हे, जय हे, जय हे
जय जय जय जय हे।
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भारत माता की जय ! वन्दे मातरं ! ॐ ॐ ॐ !!

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