Saturday 13 August 2016

धर्म और सिर्फ धर्म ही भारत का जीवन रहा है| बिना धर्म के भारत की मृत्यु निश्चित है .....

धर्म और सिर्फ धर्म ही भारत का जीवन रहा है| बिना धर्म के भारत की मृत्यु निश्चित है .....
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कल 15 अगस्त को योगिराज श्री अरविन्द का जन्मदिवस है।
भारत को स्वाधीनता उनके जन्मदिवस पर मिली | इसे श्री अरविन्द उस दिव्य शक्ति की मोहर मानते थे जिसने उनका विश्व के रूपांतरण की दिशा में मार्गदर्शन किया। श्रीअरविन्द भारत के स्वाधीनता संग्राम के उन पहले महानायकों में से एक थे जिन्होंने भारत की पूर्ण स्वतंत्रता की चेतना जनमानस में जागृत की।
भारत में धर्म की प्रधानता पर बल देते हुये श्री अरविन्द घोष ने 1909 में अपने उत्तरपाड़ा के भाषण में कहा था ------- “जब यह कहा जाता है कि भारत महान बनेगा तब इसका अर्थ होता है कि सनातन धर्म (हिन्दुत्व) महान बनेगा। जब भारत अपना विस्तार करेगा तब इंगित होता है कि सनातन धर्म अपना विस्तार कर सारे विश्व में फैलेगा। भारत धर्म के लिये एवं धर्म से ही जीवन्त है। धर्म की व्याख्या में ही राष्ट्र की व्याख्या भी है।”
अरविन्द ने कहा था कि उनके जेल प्रवास के दौरान उन्हें ईश्वर से सन्देश प्राप्त हुआ था। उस सन्देश को श्री अरविन्द ने अपने शब्दों में बताते हुये कहा था ---- “मैं एक लम्बे अरसे से इस आन्दोलन की परिकल्पना कर रहा था अब समय आगया है कि मैं इसका बीड़ा उठाउंगा और इसे सफल बनाउंगा।”
अपने भाषण की समाप्ति पर उन्होंने अपने मुख्य कथ्य को दोहराते हुये कहा “अब और मैं नहीं मानता कि राष्ट्रवाद एक सोच है और धर्म एक आस्था। अब मैं मानता हूं कि सनातन धर्म ही राष्ट्रवाद है। इस हिन्दु राष्ट्र का प्रादुर्भाव सनातन धर्म के साथ ही हुआ था,सनातन धर्म ही इसे गति देता है एवं इसका उत्थान भी इसी के उपादान से ही होगा। अगर सनातन धर्म का पतन होता है तो राष्ट्र का पतन भी निश्चित है।”
भगवान श्रीअरविन्द को मैं साष्टांग दण्डवत् प्रणाम करता हूँ|
जय जननी जय भारत | ॐ ॐ ॐ ||

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