Thursday, 2 October 2025

भगवान के लिए छटपटाहट और पीड़ा कितनी हो ? ....

 भगवान के लिए छटपटाहट और पीड़ा कितनी हो ? ....

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भगवान की प्राप्ति के लिए ऐसी छटपटाहट और पीड़ा होनी चाहिए जैसे किसी ने एक परात में जलते हुए कोयले भर कर सिर पर रख दिए हों, और हमें उस अग्नि की दाहकता से मुक्ति पानी हो| ऐसी भक्ति हमें अनेक जन्मों के पुण्य और परमात्मा की कृपा द्वारा ही प्राप्त हो सकती है|
भगवान की यह प्रतिज्ञा है ..... ""अहं स्मरामि मद्भक्तं नयामि परमां गतिम्।"
मेरे भक्त यदि मेरा स्मरण न कर सकें तो मैं स्वयं ही उनका स्मरण करता हूँ, और उन्हे परम गति प्राप्त करा देता हूँ|
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निश्चय कर संकल्प सहित अपने आप को परमात्मा के हाथों में सौंप दो| जहाँ हम विफल हो जाएँगे, वहाँ वे हाथ थाम लेंगे|
ॐ तत्सत ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
३ अक्तूबर २०१७

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