Thursday, 19 December 2024

परमात्मा की अनंतता में स्वयं का विलय करना ही होगा ---

अपनी गहनतम व सर्वोच्च चेतना में मैं केवल आप सब में ही नहीं, सम्पूर्ण सृष्टि व उससे परे की अनंत सम्पूर्णता में भी स्वयं को व्यक्त करना चाहता हूँ। मेरे हृदय में अभीप्सा की एक प्रचंड अग्नि प्रज्ज्वलित है।

मैं जो लिख रहा हूँ, उसे अनुभूत भी कर रहा हूँ। लौकिक दृष्टि से मेरे लिखने का कोई महत्व नहीं है, यह मेरे भावों की एक अभिव्यक्ति मात्र है, जिसे केवल मैं ही समझ सकता हूँ। कई बातें हैं जो लौकिकता में व्यक्त नहीं हो सकतीं, लेकिन वे मेरे हृदय में निरंतर प्रस्फुटित हो रही हैं।
मुझे सुख, शांति और सुरक्षा -- केवल परमात्मा की अनंतता में ही मिलती हैं, अन्यत्र कहीं भी नहीं। कब तक इस सत्य से दूर भागता रहूँगा? परमात्मा की अनंतता में स्वयं का विलय करना ही होगा।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१९ दिसंबर २०२४

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