बांग्लादेश का उत्तरी भाग हिंदुओं को, और दक्षिणी भाग मुसलमानों को मिले। जितना भयंकर नरसंहार हिन्दुओं का हुआ है, और जितना भयंकर पाशविक अत्याचार हिन्दू महिलाओं पर हुआ है, उसके पश्चात किसी भी तरह का भाईचारा उन नरपिशाचों के साथ संभव नहीं है। बांग्लादेश का विभाजन ही एकमात्र विकल्प है, जो शीघ्रातिशीघ्र कर देना चाहिए। यह भारत की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है।
वे सब नरपिशाच जो बांग्लादेश में हिंदुओं का नरसंहार और हिन्दू महिलाओं व बच्चियों के साथ दुराचार कर रहे हैं, प्रकृति उन्हें कभी क्षमा नहीं करेगी। उनका सर्वनाश होगा। वहाँ की घटनाओं से पूरे विश्व का हिन्दू समाज और पूरा भारत क्षुब्ध और आहत है। जो इस घटना पर मौन और तटस्थ हैं वे भी दंड के भागी होंगे।
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बांग्लादेश और बंगाल की समस्या का एकमात्र स्थायी समाधान :---
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इसके लिए बहुत बड़ा राजनीतिक, कूटनीतिक और सैनिक साहस चाहिए जो हमारे सौभाग्य से हमारी वर्तमान केंद्र सरकार में है। हमें बहुत बड़ा कदम उठाना पड़ेगा। बंगाल और बांग्लादेश दोनों का नीचे बताए हुये अनुसार विभाजन करना पड़ेगा।
(1) सर्वप्रथम बंगाल का विभाजन दो भागों में करना होगा उत्तरी बंगाल और दक्षिणी बंगाल।
बंगाल के दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, कूचबिहार, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर, और मालदा --- इन छह जिलों को बंगाल से पृथक कर एक केंद्र शासित राज्य बनाना होगा।
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बाकी तेरह जिले -- मुर्शिदाबाद, वीरभूम, पुरुलिया, बांकुड़ा, बर्धमान, नादिया, हुगली, हावड़ा, पश्चिमी मिदिनापुर, पूर्वी मिदिनापुर, उत्तर चौबीस परगना, दक्षिण चौबीस परगना, और कोलकाता -- इन सब को मिलाकर वर्तमान बंगाल राज्य हो।
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(2) बांग्लादेश के रंगपुर और राजशाही -- इन दो जिलों का सीमावर्ती भूभाग अधिग्रहण कर इनमें बांग्लादेश के हिंदुओं को बसाया जाये। इस भूभाग को बंगाल के केंद्र शासित राज्य में मिला दिया जाये। इससे भारत की सामरिक स्थिति भी बहुत अधिक मजबूत हो जाएगी। चिकननेक का क्षेत्र बहुत मजबूत हो जाएगा और आसाम से आना-जाना भी बहुत अधिक आसान हो जाएगा।
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(3) बहुत दृढ़ राजनीतिक निर्णय लेकर सारे रोहिंगिया और अवैध रूप से आए बांग्लादेशियों को पकड़ पकड़ कर भारत से बाहर निकाल दिया जाये।
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बांग्लादेश और बंगाल की समस्या यही स्थायी समाधान मेरे दिमाग में आता है। अन्य कोई समाधान नहीं है। ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !!
८ अगस्त २०२४
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