मृत्यु के समय भी आप स्वयं को भगवान की गोद में ही पायेंगे ---
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रात्रि को सोने से पूर्व भगवान का ध्यान निमित्त भाव से कर के इस तरह सो जाएँ जैसे एक छोटा बालक अपनी माँ की गोद में सो रहा है। अगले दिन प्रातःकाल उठेंगे, तब स्वयं को भगवान की गोद में ही पाएंगे। आप स्वयं को धन्य मानेंगे कि भगवान स्वयं ही आपको याद कर लेते हैं। यदि यही दिनचर्या बनी रहेगी तो मृत्यु के समय भी आप स्वयं को भगवान की गोद में ही पायेंगे।
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समष्टि की सबसे बड़ी सेवा है -- परमात्मा का निरंतर स्मरण !! रात्रि को सोने से पहिले और प्रातःकाल उठते ही परमात्मा का यथासंभव गहरे से गहरा ध्यान करें। परमात्मा एक प्रवाह हैं, जिन्हें स्वयं के माध्यम से प्रवाहित होने दें। वे एक रस हैं, जिन का रसास्वादन निरंतर करते रहें। अपने हृदय का पूर्ण प्रेम और स्वयं को भी उन्हें समर्पित कर दें। उनसे अन्य कोई है ही नहीं।
ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !!
१ मई २०२२
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