रात्रि को जिस क्षण हम सोते हैं, वह सबसे अधिक महत्वपूर्ण क्षण है ---
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सोने से पूर्व रात्रि को पूर्ण सत्यनिष्ठा से किया गया परमात्मा का ध्यान सबसे अधिक प्रभावशाली और महत्वपूर्ण होता है। रात्रि में यदि हम परमात्मा का ध्यान कर के सोते हैं तो निश्चित रूप से अगले दिन का आरंभ बड़ा ही शुभ होगा। परमात्मा को अपने हृदय का सम्पूर्ण प्रेम दें। फिर सिर के नीचे तकिये के स्थान पर जगन्माता का हाथ, और बिस्तर के स्थान पर जगन्माता की गोद में, निश्चिंत होकर सो जाएँ। सोने से पूर्व अपनी सारी चिंताएँ जगन्माता को सौंप दें। जो जगन्माता पूरी सृष्टि का पालन-पोषण कर रही हैं, वे अपनी हरेक संतान का कल्याण भी करती हैं।
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अगले दिन परमात्मा की चेतना में ही जागेंगे। उठते ही निवृत होकर यथासंभव अधिकाधिक समय तक परमात्मा का ध्यान करें। पूरे दिन परमात्मा को अपनी स्मृति में रखें। जीवन में जो भी घटित होगा, वह शुभ ही शुभ होगा।
ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !!
कृपा शंकर
१७ अप्रेल २०२१
न चाहते हुए भी, यदि हम भगवान से दूर हो कर किसी गहरी खाई में गिर जाते हैं, तो उस परिस्थिति में क्या करें?
ReplyDeleteअसहाय बालक की रक्षा करना माँ-बाप का काम है। भगवान ही हमारे माँ-बाप हैं। उनको हस्तक्षेप करना ही पड़ेगा। हम तो अपना हाथ उनके हाथ में ही थमा सकते हैं, और कुछ भी करना हमारे वश में नहीं है। लेकिन हाथ पूरी सत्यनिष्ठा से थमायें। वे निश्चित रूप से हर परिस्थिति में हमारी रक्षा करते हैं।