Wednesday, 30 March 2022

देवता हमारा कल्याण क्यों नहीं करते? ---

 प्रश्न :----- देवता हमारा कल्याण क्यों नहीं करते?

उत्तर :--- क्योंकि हम यज्ञ द्वारा देवताओं को शक्ति प्रदान नहीं करते|
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देवताओं को शक्ति उन यज्ञों से ही मिलती है जिन में हम आहुतियों द्वारा उन्हें तृप्त करते हैं| देवताओं में जब शक्ति ही नहीं होगी तब वे हमारा कल्याण भी नहीं कर सकते| गीता में भगवान कहते हैं ---
"देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः| परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ|३:११||"
अर्थात् तुम लोग इस यज्ञ द्वारा देवताओं की उन्नति करो और वे देवतागण तुम्हारी उन्नति करें| इस प्रकार परस्पर उन्नति करते हुये परम श्रेय को तुम प्राप्त होंगे||
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समष्टि का कल्याण होगा तो व्यष्टि का भी होगा| भगवान कहते हैं ---
"इष्टान्भोगान्हि वो देवा दास्यन्ते यज्ञभाविताः| तैर्दत्तानप्रदायैभ्यो यो भुङ्क्ते स्तेन एव सः||३:१२||"
अर्थात् यज्ञ द्वारा पोषित देवतागण तुम्हें इष्ट भोग प्रदान करेंगे। उनके द्वारा दिये हुये भोगों को जो पुरुष उनको दिये बिना ही भोगता है वह निश्चय ही चोर है||
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देवताओं का हमारे ऊपर ऋण है जिसे चुकाये बिना खाकर यदि हम केवल अपने शरीर और इन्द्रियों को ही तृप्त करते हैं, तो हम चोर हैं| देवताओं को उनके द्वारा दिये भोग उन्हें समर्पित किये बिना जो स्वयं ही भोग लेता है वह चोर ही है|
हम देवताओं के साथ परस्पर एक दूसरे की भावना करें, और उनकी सेवा करते हुए उन्हें पुष्ट करें| हम उन की सेवा करेंगे तो वे भी हमें पुष्ट करेंगे| यज्ञ से पुष्ट हुए देवता हमें भोग्य पदार्थ देते हैं, तब देवताओं को उनका हिस्सा फिर दें| देवताओं को बिना दिये भोग करना, चोरी करना है|
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आध्यात्मिक साधना भी हमें समष्टि के कल्याण के लिए करनी चाहिए| तभी समष्टि हमारा कल्याण करेगी|
ॐ तत्सत् || ॐ स्वस्ति || ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
३० मार्च २०२१

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