Wednesday 26 January 2022

जीवन का मूल उद्देश्य है --- शिवत्व की प्राप्ति ---

 जीवन का मूल उद्देश्य है --- शिवत्व की प्राप्ति ---

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हम शिव कैसे बनें एवं शिवत्व को कैसे प्राप्त करें? इस का उत्तर है --- किन्हीं ब्रहमनिष्ठ वेदज्ञ सिद्ध सद्गुरु के मार्गदर्शन व सान्निध्य में कूटस्थ ओंकार रूप शिव का ध्यान, और अजपा-जप| यह किसी कामना की पूर्ती के लिए नहीं, बल्कि कामनाओं के नाश के लिए है| आते जाते हर साँस के साथ उनका चिंतन-मनन और समर्पण -- उनकी परम कृपा की प्राप्ति करा कर आगे का मार्ग प्रशस्त करता है| ऊर्ध्व चेतना की जागृति होने पर अपने आप ही स्पष्ट मार्गदर्शन प्राप्त होने लगता है|
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जिन से जगत की रचना, पालन और नाश होता है, जो इस सारे जगत के कण कण में व्याप्त है, वे शिव हैं| जो समस्त प्राणधारियों की हृदय-गुहा में निवास करते हैं, जो सर्वव्यापी और सबके भीतर रम रहे हैं, वे ही शिव हैं| 'शिव' शब्द का अर्थ है -- आनन्द, परम मंगल और परम कल्याण| जिसे सब चाहते हैं और जो सबका कल्याण करने वाला है वही ‘शिव’ है|
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तत्व रूप में शिव और विष्णु में कोई भेद नहीं है| गीता के भगवान वासुदेव ही वेदान्त के ब्रह्म हैं| वे ही परमशिव हैं| योगमार्ग के पथिकों को ‘शिवो भूत्वा शिवं यजेत्’ यानि शिव बनकर ही शिव की उपासना करनी पड़ती है| जिन्होने वेदान्त को निज जीवन में अनुभूत किया है वे तो इस तथ्य को समझ सकते हैं, पर जिन्होने गीता का गहन स्वाध्याय और ध्यान किया है वे भी अंततः इसी निष्कर्ष पर पहुंचेंगे|
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ॐ तत्सत् | शिवोहं शिवोहं अयमात्मा ब्रह्म | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
२७ जनवरी २०२१

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