भारतवर्ष में जो असत्य का अंधकार छाया हुआ है, वह अस्थाई है, उसका नाश निश्चित है| असत्य और अन्धकार के बादलों से सत्य ढँक जाता है पर कभी नष्ट नहीँ होता| जब हम अपने अंतःकरण में परमात्मा को व्यक्त करेंगे तो बाहर के असत्य और अज्ञान का अंधकार भी निश्चित रूप से दूर होगा| सनातन धर्म अमर है|
सत्यं वद (सत्य बोलो) |
धर्मं चर (धर्म मेँ विचरण करो) |
स्वाध्याय प्रवचनाभ्यां न प्रमदितव्यं (वेदाध्ययन और उसके प्रवचन प्रसार में प्रमाद मत करो) |
नायमात्मा बलहीनेन लभ्यः (बलहीन को कभी परमात्मा की प्राप्ति नहीं होती) |
अश्माभव:परशुर्भवःहिरण्यमस्तृतांभवः (उस चट्टान की तरह बनो जो समुद्र की प्रचंड लहरों के आघात से भी विचलित नहीं होती, उस परशु की तरह बनो जिस पर कोई गिरे वह नष्ट हो, और जिस पर परशु गिरे वह भी नष्ट हो जाये | तुम्हारे में हिरण्य यानि स्वर्ण की सी पवित्रता हो |
तद्विष्णो: परमं पदं सदा पश्यन्ति सूरय: (उस विष्णु के परम पद के दर्शन सदा सूरवीर ही करते हैं) |
परमात्मा से प्रेम करना तथा उसे प्रसन्न करने के लिये ही जीवन के हर कार्य को करना, चाहे वह छोटे से छोटा हो या बड़े से बड़ा ..... बस यही महत्व रखता है| जब प्रेम की पराकाष्ठा होगी तब ईश्वर ही कर्ता हो जायेंगे और हमारा नहीं सिर्फ उन्हीं का अस्तित्व होगा|
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
९ सितंबर २०२०
सनातन-धर्म -- जिन सत्य सनातन सिद्धांतों पर टिका है, जैसे - आत्मा की शाश्वतता, माया, कर्मफल, पुनर्जन्म, आध्यात्म और भगवत्-प्राप्ति, -- इन्हें कोई नष्ट नहीं कर सकता। ये सनातन सत्य हैं, और इस सृष्टि और प्रकृति के धर्म हैं। रामायण और महाभारत में इसे बहुत अच्छी तरह समझाया गया है। धर्म-शिक्षा के अभाव में हम इसे नहीं जानते।
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सूर्योदय होते ही भगवान भुवन-भास्कर के समझ कोई अंधकार नहीं टिकता। वैसे ही हम स्वयं में आत्म-ज्योति को प्रज्ज्वलित करेंगे तो हमारे अंतर में व्याप्त असत्य का अंधकार भी तत्क्षण दूर हो जायेगा।
ॐ तत्सत् ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१७ सितंबर २०२१