इस संसार के लौकिक जीवन में मैं अनाथ हो गया हूँ...
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कल १४ सितंबर २०२० को सायं लगभग ८ बजे मेरे बड़े भाई साहब डॉ. दयाशंकर जी इस नश्वर देह को त्याग कर अपनी अज्ञात अनंत यात्रा पर चले गए| जगन्माता उन्हें निश्चित रूप से सद्गति प्रदान करेगी| मेरी और उनकी राम-लक्ष्मण की सी जोड़ी थी| जितना प्रेम मुझे उनसे था उतना इस नश्वर जीवन में अन्य किसी से भी नहीं था| नित्य फोन पर वे मुझसे अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम पर चर्चा करते थे| समसामयिक घटनाक्रमों पर उनकी पकड़ बहुत गहरी थी| बहुत बड़े-बड़े लोगों से उनका संपर्क और मिलना-जुलना था| उपनिषदों और भगवद्गीता पर उनका अध्ययन बहुत अधिक गहरा था|
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वे एक विख्यात नेत्र चिकित्सक तो थे ही, एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थे| राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वे बचपन से ही स्वयंसेवक थे| वर्तमान में वे संघ के सीकर विभाग (झुंझुनूं, सीकर व चूरू जिलों) के विभाग संघ चालक थे| जिला नागरिक मंच, व अन्य अनेक सामाजिक संस्थाओं के मुख्य संरक्षक थे| जिले का ब्राह्मण समाज तो आज अपने आप को अनाथ सा अनुभूत कर रहा है, क्योंकि उनके मुख्य संरक्षक नहीं रहे| झुंझुनूं, सीकर, व चुरू जिलों के स्वयं सेवक भी अपने विभाग संघ चालक के चले जाने से दुखी हैं|
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इस समय मैं अधिक लिखने की मनःस्थिति में नहीं हूँ| भाई साहब को श्रद्धांजलि| ॐ ॐ ॐ !!
१५ सितंबर २०२०
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