Friday, 1 February 2019

हमारा सारा जीवन "राम" और "काम" के मध्य की परम द्वन्द्वमय अंतर्यात्रा है .....

हमारा सारा जीवन "राम" और "काम" के मध्य की परम द्वन्द्वमय अंतर्यात्रा है| "राम" और "काम" दोनों के प्रबल आकर्षण हैं| एक शक्ति हमें राम की ओर यानि परमात्मा की ओर खींच रही है, वहीँ दूसरी शक्ति हमें काम की ओर यानि सान्सारिक भोग-विलास की ओर खींच रही है| हम दोंनो को एक साथ नहीं पा सकते| हम को दोनों में से एक का ही चयन करना होगा|

अन्धकार और प्रकाश एक साथ नहीं रह सकते| सूर्य और रात्री भी एक साथ नहीं रह सकते| भूमध्य रेखा से हम उत्तरी ध्रुव की ओर जाएँ तो दक्षिणी ध्रुव उतनी ही दूर हो जाएगा, और दक्षिणी ध्रुव की ओर जाएँ तो उत्तरी ध्रुव उतनी ही दूर हो जाएगा| दोनों स्थानों पर साथ साथ नहीं जा सकते|

ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
१ फरवरी २०१९

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