Friday, 16 March 2018

हम सब जीव से शिव बनें, आत्म-तत्व यानि परमात्मा में हमारी स्थिति हो .....

हम सब जीव से शिव बनें, आत्म-तत्व यानि परमात्मा में हमारी स्थिति हो .....
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इस सृष्टि में जो कुछ भी घटित हो रहा है, वह हमारे सब के विचारों का घनीभूत रूप है| हमारे विचार ही हमारे कर्म हैं, जिनका फल भोगने के लिए हमारा बारम्बार जन्म हो रहा है| परमात्मा के अंश होने के कारण हम सब के विचार ही घनीभूत होकर चारों ओर व्यक्त हो रहे हैं| हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है, यही कर्मफलों का सिद्धांत है| यह तभी तक प्रभावी है जब तक हम आत्म-तत्व में स्थिर नहीं हो जाते| सब तरह कि प्रतिक्रियाओं यानि कर्मफलों से मुक्त होने का एकमात्र मार्ग है .... आत्म-तत्व में स्थिति| यही ईश्वर कि प्राप्ति है और यही आत्म-साक्षात्कार है|
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हमारे में जो भी कमी है या जो भी गुण-अवगुण हैं वे हमारे विचारों के कारण ही हैं| हमारे विचार ही हमारे मित्र और शत्रु हैं| अपनी कमियों के लिए हम किसी अन्य को दोष नहीं दे सकते| कमी हमारे अपने विचारों में ही है| हमारी मुमुक्षा में कमी भी हमारे विचारों से है| सत्संग, अभ्यास और वैराग्य से ही हमारे में शिव-संकल्प यानि गहनतम मुमुक्षुत्व के विचार जागृत और स्थिर हो सकते है| मुमुक्षुत्व कि परिणिति ही जीव का शिव बनना है| हम सब जीव से शिव बनें, आत्म-तत्व यानि परमात्मा में हमारी स्थिति हो| शुभ कामनाएँ !
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१७ मार्च २०१६

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