Sunday 25 March 2018

साधक के लिए आत्म निरीक्षण :---

साधक के लिए आत्म निरीक्षण :---
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यहाँ ये नौ प्रश्न हैं, जिनके निष्ठापूर्वक दिए हुए उत्तर बता देंगे कि आध्यात्मिक रूप से हम कितने पानी में हैं| सायंकाल की उपासना के पश्चात दिन भर के कार्यों का अवलोकन करें और स्वयं के ह्रदय से ये नौ प्रश्न पूछें| इनके उत्तर भी अपने ह्रदय की पुस्तक में ही नित्य लिख लें| इन प्रश्नों को प्रिंट कर लें या कागज़ पर लिख लें और अपने पास रखें|
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(१) क्या मैं अपनी जीवन शैली से यानी जैसा जीवन मैं जी रहा हूँ, उस से संतुष्ट हूँ ? यदि नहीं तो उसे बदलने के लिए क्या कर रहा हूँ, मुझे और क्या करना चाहिए ?
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(२) क्या मेरा आज का दिन बीते हुए कल से अधिक अच्छा था ? क्या मैं नित्य नियमित उपासना करता हूँ ? क्या मुझे ध्यान में शान्ति, आनंद और परमात्मा की अनुभूति होती है ? क्या मेरी साधना बीते हुए कल से अधिक अच्छी और गहरी थी ? यदि नहीं तो मुझे इसी समय से क्या करना चाहिए ?
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(३) मेरा अहं, चेतना के किस स्तर पर है ?
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(४) क्या मुझ में ये अच्छे गुण विकसित हो रहे हैं, जैसे ..... धैर्य, दयालुता, आत्मसंयम, इच्छाशक्ति, भक्ति, एकाग्रता, उत्साह, मन की पवित्रता, निष्ठा, और परमात्मा के प्रति श्रद्धा व विश्वास | यदि नहीं तो मुझे अब और क्या करना चाहिए ?
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(५) सब तरह के उकसावे और उत्तेजनाओं के पश्चात् भी क्या मेरी वाणी कटु थी ? क्या मुझे क्रोध आया ? क्या मेरा व्यवहार निर्दयतापूर्ण और अनैतिक था ? यदि हाँ, तो मुझे अब इसी समय से आगे और क्या करना चाहिए ?
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(६) क्या मुझे अपने जीवन का उद्देश्य याद है ? क्या मैं अपने मार्ग पर सही रूप से अग्रसर हो रहा हूँ ? मेरा स्वाध्याय और समर्पण का भाव कैसा है ? क्या मैं कर्ताभाव से मुक्त हूँ ?
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(७) क्या मैं अपने भीतर उठने वाली भावनाओं और विचारों के प्रवाह के प्रति सजग हूँ ?
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(८) क्या मैं अपनी विफलताओं के लिए दूसरों को दोष देता हूँ ? यदि हाँ, तो मुझे तुरंत सुधरने की आवश्यकता है|
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(९) क्या मैं पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ वायु, सूर्य के प्रकाश व उचित आहार का ग्रहण, पर्याप्त व्यायाम और विश्राम करता हूँ ? क्या मेरा जीवन संतुलित है ?
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इन प्रश्नों पर नित्य विचार करने से हम साधना के मार्ग पर कोई धोखा नहीं खायेंगे | सभी को शुभ कामनाएँ और नमन ! ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!

कृपा शंकर
२४ मार्च २०१८


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