Tuesday 27 March 2018

भारत की वर्त्तमान शिक्षा पद्धति का पुनरुत्थान होना चाहिए .....

भारत की वर्तमान शिक्षा-पद्धति नपुंसक तोता-रटंत पद्धति है, इसमें कोई गहन अध्ययन नहीं है| यह शिक्षा पद्धति कोई गहन विचारक नहीं उत्पन्न कर सकती| लगभग सारी पाठ्य पुस्तकें षडयंत्रकारी वामपंथियों द्वारा लिखी जाती हैं जिनमें ब्रिटिश और जिहादी हितों का ध्यान रखा जाता है| यह शिक्षा पद्धति सिर्फ कुछ बाबू और नौकरी करने योग्य निष्क्रिय व्यक्ति ही पैदा कर सकती है, कोई वास्तविक विद्वान् नहीं| हमे सही इतिहास भी नहीं पढ़ाया जाता|
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भारत को आवश्यकता है दूर दृष्टी वाले चिन्तक, विचारक, और मौलिक विद्वानों की| वर्तमान शिक्षा पद्धति काले अँगरेज़ पैदा कर रही है जिन्हें भारतवर्ष और उसकी संस्कृति पर अभिमान नहीं है| ये तथाकथित शिक्षित लोग भारतीय भाषा बोलने वालों को नीची दृष्टी से देखते हैं|
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भारतीय शिक्षा पद्धति का पुनरुत्थान होना चाहिए| शिक्षा का माध्यम स्थानीय भाषा हो| पाणिनी की व्याकरण आज तक के मानव इतिहास में लिखी गयी विश्व की सर्वश्रेष्ठ व्याकरण है| वैदिक गणित बुद्धि का विकास करती है|
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पढाई ऐसी हो जो उत्तम चरित्र, विचारशीलता और ज्ञान प्राप्ति की जिज्ञासा को जागृत करे| सिर्फ रट कर या टीप कर अच्छे नम्बर लाने वाले विद्यार्थी राष्ट्र का कल्याण नहीं कर सकते|

2 comments:

  1. हम में से अधिकांश लोग अपनी संतानों के दिशाहीन होने से दुखी हैं| दोष संतानों का नहीं, पूरा दोष हमारा ही है| हमने उनके सामने अपना कोई आदर्श नहीं रखा| उनके जन्म के पूर्व से ही यदि हम धर्माचरण करते, और पैशाचिक पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण नहीं करते तो आज हमें पछताना नहीं पड़ता|

    कोई भी शिशु या बालक हो वह बातों से नहीं, माता-पिता का आचरण और व्यवहार देखकर ही सीखता है| जो हो गया सो तो हो गया, उसे तो हम बदल नहीं सकते, पर इसी क्षण से हमारा व्यवहार और जीवनचर्या वैसी ही हो जैसी हम अपने बच्चों से अपेक्षा रखते हैं|

    ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!

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  2. अंग्रेजों द्वारा चलाई हुई भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली में स्वतंत्र चिंतन-मनन का कोई स्थान नहीं है, अतः यह हमें मानसिक रूप से गुलाम ही बने रहना सिखाती है| यह शिक्षा पद्धति सिर्फ अनुसरण करना सिखाती है, स्वतंत्र सोच-विचार नहीं| इसीलिए हमें मूर्ख बनाना और गुलाम बनाना बड़ा आसान है| हमारे समाज और राजनीति के कर्णधार भी मानसिक रूप से गुलाम हैं और वे झूठ पर झूठ बोलकर हमें अपना गुलाम और मुर्ख ही बनाते हैं| हम भी तुरंत भावनात्मक रूप से मूर्ख बन जाते हैं|

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