Sunday 31 December 2017

चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ......

चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ......
जिन का कभी जन्म ही नहीं हुआ उन भगवान परमशिव का ही ध्यान करना चाहिए| जब भी उनके प्रति हृदय में परम प्रेम उमड़े उसी क्षण से उनका ध्यान करना चाहिए| कोई देश-काल, शौच-अशौच या ग्रह-नक्षत्र का बंधन नहीं है| वे अनंत असीम अगोचर हैं| उनकी अनुभूति प्रत्येक उपासक को निश्चित रूप से होती है| सारे नक्षत्र, ग्रह, उपग्रह उन्हीं की कृपा से अस्तित्व में हैं और उन्हीं के प्रकाश से प्रकाशित हैं| उनका आश्रय मिलने पर क्या तो कोई ग्रह नक्षत्र या क्या कोई यमराज किसी का कुछ बिगाड़ सकता है ?

हर हर महादेव ! ॐ ॐ ॐ !!

३१ दिसंबर २०१७ 

1 comment:

  1. मेरे प्राण योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण हैं, उन्हें पाने की मेरी अभीप्सा यानी मेरी शाश्वत जिज्ञासा धनुर्धर पार्थ है | जहाँ भी मेरे प्राण हैं, वहीं मैं हूँ | मैं जीव नहीं शिव हूँ |
    ॐ ॐ ॐ !!
    यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः |
    तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम ||१८/७८||
    जहाँ योगेश्वर श्रीकृष्ण हैं और जहाँ धनुर्धारी अर्जुन है वहीं पर श्री विजय विभूति और ध्रुव नीति है ऐसा मेरा मत है ||१८/७८||

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