ॐ| विभिन्न देहों में मेरे ही प्रियतम निजात्मण, आप सब में साकार परमात्मा को मैं नमन करता हूँ| आप सब को ......
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नववर्ष का संकल्प :---- यह वर्ष हमारे जीवन का अब तक का सर्वश्रेष्ठ वर्ष होगा| हमारे जीवन में प्रभु का परम प्रेम और परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति होगी|
हम अपने राष्ट्र भारतवर्ष को अपनी वर्तमान स्थिति से उबारने के लिए एक ब्रह्मतेज को जागृत करेंगे, हम गुणातीत होंगे, किसी भी तरह की विकृती हमारे भीतर नहीं होगी और परम तत्व का साक्षात्कार कर हम उच्चतम आध्यात्मिक शिखर पर आरूढ़ होंगे|
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रक्तबीज और महिषासुर हमारे भीतर अभी भी जीवित हैं, उनकी चुनौती और अट्टहास हम सब को नित्य सुनाई देता है| ये हमारे अवचेतन मन में छिपे हैं और चित्त की वृत्तियों के रूप में निरंतर प्रकट होते हैं| जितना इनका दमन करते हैं, उतना ही इनका विस्तार होता है| सारे दुःखों, कष्टों, पीड़ाओं, दरिद्रता और दुर्गति के मूल में ये दोनों ही महा असुर हैं| निज प्रयास से इनका नाश नहीं हो सकता| भगवान श्रीराम और जगन्माता की शक्ति ही इनका विनाश कर सकती है| उस शक्ति के लिए हमें साधना करनी होगी|
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परस्त्री/पुरुष व पराये धन की कामना, अन्याय/अधर्म द्वारा धन पाने की इच्छा, परपीड़ा, अधर्माचरण और मिथ्या अहंकार ही रक्तबीज है|
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प्रमाद यानि आलस्य, काम को आगे टालने की प्रवृत्ति और तमोगुण ही महिषासुर है|
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जगन्माता ......
महाकाली के रूप में दुष्वृत्तियों का विनाश करती हैं|
महालक्ष्मी के रूप में सद्वृत्तियाँ प्रदान करती हैं|
महासरस्वती के रूप में आत्मज्ञान प्रदान करती हैं|
दुर्गा के रूप में मनुष्य को दुर्गति से बचाती है
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प्रार्थना :-
माँ, यह सारी सृष्टि तुम्हारे मन की एक कल्पना, विचार और संकल्प मात्र है|
हमारा समर्पण स्वीकार करो| हम सब तुम्हारी संतानें हैं, हमारी रक्षा करो| हमारे भीतर और बाहर चारों ओर छाई हुई असत्य और अन्धकार की शक्तियों व अज्ञान रुपी ग्रंथियों का नाश हो| भारत के भीतर और बाहर के सभी शत्रुओं का नाश हो| सनातन धर्म की सर्वत्र पुनर्प्रतिष्ठा हो| भगवान श्रीराम का हमारे चैतन्य में सदा निवास हो| सब का कल्याण हो| ॐ ॐ ॐ ||
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पुनश्चः.... भारतीय नववर्ष की शुभ कामनाएँ |
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जय माँ ! जय श्रीराम ! ॐ नमःशिवाय ! ॐ ॐ ॐ ||
कृपाशंकर चै.शु.१वि.सं.२०७३ . 08April2016
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