Monday, 1 August 2016

नियमित गहन और दीर्घ ध्यान साधना की आवश्यकता .......

नियमित गहन और दीर्घ ध्यान साधना की आवश्यकता .......
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आप सभी निजात्माओं को नमन ! आज कई दिनों के पश्चात फेसबुक पर उपस्थित हुआ हूँ| भौतिक रूप से आप सब से दूर था पर आप सब मेरे ह्रदय में थे| लिखने की आदत छूट सी गयी है| कुछ दिनों में लिखने का अभ्यास पुनश्चः हो जाएगा|
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कभी कभी एकांत में दूर जाकर उचित वातावरण में अधिकाधिक समय देकर गहन और दीर्घ काल तक साधना में रहना चाहिए| पर जहाँ भी रहें नियमित गहन ध्यान साधना आवश्यक है क्योंकि हमारा अवचेतन मन अथाह है जिसमें इस जन्म के ही नहीं, अनेक जन्मों के अच्छे-बुरे संस्कार भरे हुए हैं; कब कौन सा कुसंस्कार जागृत हो जाए कुछ कह नहीं सकते|
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कई बार अनायास हम ऐसे गलत कार्य कर बैठते हैं जिन पर विश्वास नहीं कर सकते कि हमारे होते हुए भी यानी in spite of me यह कैसे हो गया| यह हमारे अवचेतन मन में छिपे कुसंस्कारों के अनायास जागृत होने से होता है|
नियमित गहन और दीर्घ साधना से अवचेतन मन में छिपे कुसंस्कार नष्ट होते हैं| अन्य कोई मार्ग नहीं है|
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नियमित ध्यान साधना से हमारा अधिचेतन मन सक्रिय हो जाता हैं जो अंतर्ज्ञान यानि सीधे सत्य का बोध कराता है और किसी भी तरह के गलत कार्यों से हमें रोकता है|
अधिचेतन मन की जागृति .... समाधि की प्रथम अवस्था है, जो आत्मा की शुद्ध, अंतर्ज्ञानात्मक और आनंद दायक चेतना है| अपनी मनोदशाओं पर नियंत्रण का अन्य कोई मार्ग नहीं है|
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पुनश्चः आप सब को नमन ! आप सब मेरी ही निजात्मा हैं, मेरे ही प्राण हैं| आप सब के कल्याण में ही मेरा कल्याण है| ॐ नमः शिवाय ! ॐ ॐ ॐ !

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