Monday, 13 October 2025

हादी-कादी विद्या

लेखक : श्री नरेन्द्रभाई पाण्ड्या (राजकोट)। Dated १४ अक्तूबर २०१४ . श्री विद्या का सार श्री सुक्त है ।
श्री सुक्त का सार हादी और कादी विद्या है।
कादी विद्या अगत्स्य मुनिको दी गयी और उससे सुख की प्राप्ति होती है।
हादी विद्या अगत्स्य मुनिकी पत्नी लोपामुद्रा को दी गई जिससे आत्मोन्नति होती है।
कहा जाता है कि हादी और कादी दोनों की शक्तियां गायत्री से तीन तीन गुना ज्यादा है।
कादी मंत्र :- क ए ई ल ह्रीं, ह स क ह ल ह्रीं, स क ल ह्रीं ।
हादी मंत्र:- ह स क ल ह्रीं, ह स क ह ल ह्रीं, स क ल ह्रीं ।
जब दोनों को साथ में जोड़ दे तो हादी कादी दोनों के लाभ मिलते हैं और कई गुना ज्यादा और जल्दी भी यानी सुख और आत्मोन्नति एक साथ!!
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अन्तमें "श्रीं "जोड़ने से उसकी शक्ति और भी बढ़ जाती है।ये मंत्र ऐसा होता है :-
" ॐ क ए ई ल ह्रीं, ह स क ल ह्रीं, ह स क ह ल ह्रीं, स क ल ह्रीं श्रीं ॐ।
Above Mantra in English
"Aum ka ae ee la hrim,
ha sa ka la hrim,
ha sa ka ha la hrim,
sa ka la hrim sri aum."
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जब गुरु पुष्य या रवि पुष्य नक्षत्र के साथ अमृत सिद्धि योग होता है उस दिन ज्यादा से ज्यादा लोग इस मंत्र का लाभ उठाये ये मेरी मनोकामना, प्रार्थना है। आप खुद प्रभाव देख सकेंगे।
ज्यादा से ज्यादा और जल्दी से जल्दी शेयर करें।

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