भारत का दुर्भाग्य ---
भारत के तथाकथित "राष्ट्रपिता महात्मा" ने तुर्की के इस अंतिम खलीफा सुल्तान अब्दुल मजीद (द्वितीय) को बापस अपनी गद्दी पर बैठाने के लिए "खिलाफ़त आंदोलन" आरंभ किया था। इसी आंदोलन ने पाकिस्तान की नींव डाली। इस आंदोलन के परिणामस्वरूप केरल में मोपला मुसलमान इतने अधिक उत्तेजित हो गये कि अंग्रेजों का तो कुछ बिगाड़ नहीं पाये, लेकिन लाखों निरीह हिंदुओं की हत्या कर दी। विश्व के किसी भी इस्लामी देश ने इस खलीफे का समर्थन नहीं किया था।
तुर्की की सल्तनत-ए-उस्मानिया से भारत को क्या लेना-देना था? तथाकथित "महात्मा" जी को तुर्की की सल्तनत से प्यार कैसे हो गया?
तुर्की की सल्तनत-ए-उस्मानिया (Ottoman Empire) का ३६ वां खलीफा सुल्तान महमूद (छठा) वहिदेद्दीन अपने महल के पिछवाड़े से अपने प्राण बचाकर भागते हुए। इसका बेटा अब्दुल मजीद (द्वितीय) २३ अगस्त १९४४ को पेरिस में निर्वासित जीवन जीता हुआ मर गया। भारत में गांधी ने उसी को बापस राजगद्दी दिलवाने के किए खिलाफत आंदोलन शुरू किया था।
तुर्की की सल्तनत-ए-उस्मानिया (Ottoman Empire) का ३६ वां खलीफा सुल्तान महमूद (छठा) वहिदेद्दीन अपने महल के पिछवाड़े से अपने प्राण बचाकर भागते हुए। इसका बेटा अब्दुल मजीद (द्वितीय) २३ अगस्त १९४४ को पेरिस में निर्वासित जीवन जीता हुआ मर गया। भारत में गांधी ने उसी को बापस राजगद्दी दिलवाने के किए खिलाफत आंदोलन शुरू किया था।
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