मेरी अपनी आस्था है कि हर घर में नित्य शिवपूजा और गीतापाठ अवश्य होना चाहिए। गीता के कम से कम पाँच श्लोकों का अर्थ समझते हुए नित्य पाठ करना चाहिए। भगवान शिव देवाधिदेव हैं, उनकी पूजा से सभी देवताओं की पूजा हो जाती है। अपनी अपनी गुरु-परंपरा और श्रद्धानुसार अपने इष्ट देवी/देवता की नित्य उपासना करें।
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जो नित्य वेदपाठ करना चाहते हैं, उसके लिए निम्न विधि महात्माओं ने बताई है --
पुरुष-सूक्त का नित्य पाठ वेदपाठ ही है। यदि समय मिले तो पुरुष-सूक्त के साथ साथ -- श्री-सूक्त, रुद्र-सूक्त, सूर्य-सूक्त और भद्र-सूक्त का पाठ भी करें। उपरोक्त पाँचों सूक्तों का पाठ अधिक से अधिक एक घंटे में हो जाता है। इनका फल पूरे वेदपाठ के बराबर है। जिनको अभ्यास है वे आधे घंटे में ही पाँचों सूक्तों का पाठ कर लेते हैं। इस विषय पर किन्हीं श्रौत्रीय ब्रह्मनिष्ठ महात्मा से मार्गदर्शन प्राप्त करें।
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जिनका उपनयन यानि यज्ञोपवीत संस्कार हो चुका है, उन्हें नित्य कम से कम दस (१० की संख्या में) बार गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए। अधिकतम की कोई सीमा नहीं है। कोई संशय है तो जहाँ से आपने दीक्षा ली हैं वहीं से अपनी गुरु-परंपरा में अपने संशय का निवारण करें। गायत्री जप का अधिकार उन्हें ही है जिनका उपनयन संस्कार हो चुका है, अन्यों को नहीं।
अपनी अपनी गुरु-परंपरानुसार नित्य संध्या करें।
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ॐ तत्सत् !!
२७ सितंबर २०२३
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